जम्मू प्रशासन ने एक वर्ष से अधिक समय से शीतकालीन राजधानी में रह रहे लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने में सक्षम बनाने के लिए तहसीलदारों को आवासीय प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार देने के अपने पहले के आदेश को वापस ले लिया है.
हालांकि, इस आदेश को वापस लेने का कोई कारण नहीं बताया गया है. लेकिन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने संबंधित आदेश का विरोध किया था, जिसके बाद जम्मू प्रशासन ने इसे वापस ले लिया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आदेश वापस ले लिया गया है.'
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त (जम्मू) अवनि लवासा ने पाया था कि कुछ पात्र मतदाता आवश्यक दस्तावेज न होने की वजह से मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं. इस समस्या पर गंभीरता से गौर करने के बाद उन्होंने मंगलवार को यह आदेश जारी किया था.
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नए मतदाताओं के पंजीकरण, मतदाता सूची से कुछ लोगों के नाम हटाने और सूची में सुधार करने के लिए 15 सितंबर से केंद्र-शासित प्रदेश में मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन शुरू किया गया था. इसे लेकर कई राजनीतिक दलों ने मतदाता सूची में ‘गैर-स्थानीय' लोगों को शामिल करने को लेकर चिंता जाहिर की थी.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता और गुपकर गठबंधन के प्रवक्ता एम वाई तारिगामी ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस तरह के आदेश जारी करने के कदम पर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले, यह आश्चर्यजनक है कि ऐसा अनुचित आदेश जारी किया गया था. अगर आदेश को रद्द किया गया है तो एक प्रति आमजन के साथ तुरंत साझा की जानी चाहिए.'