संसद में जयशंकर दे रहे थे बयान, विपक्ष के हंगामे से नाराज शाह बीच में खड़े होकर बोले- '20 साल वहीं बैठोगे'

विपक्ष के हंगामे पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कितनी असत्य बातें बोली गई हैं. फिर भी असत्य को भी हम हलाहल समझकर पी गए. अब ये सत्य भी नहीं सुन पाते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • विपक्षी सांसदों के जयशंकर को बार-बार टोके जाने से सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह काफी खफा हो गए.
  • अमित शाह ने कहा कि भारत में शपथ लिए हुए विदेश मंत्री पर उन्हें भरोसा नहीं है, जबकि विदेशी बयानों पर भरोसा है.
  • अमित शाह ने विपक्षी सांसदों पर कटाक्ष किया और कहा कि वे 20 सालों तक वहीं बैठे रहेंगे.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्‍ली :

लोकसभा में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कुछ ऐसे लम्हे भी आए जब माहौल में गर्माहट बढ़ गई. ऐसा ही उस वक्त हुआ जब विदेश मंत्री जयशंकर अपना बयान दे रहे थे. वह बता रहे थे कि कैसे भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के लिए पाकिस्तान को बेनकाब किया. इस दौरान विपक्षी सांसदों के जयशंकर को बार-बार टोके जाने से सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह काफी खफा हो गए. उन्होंने विपक्षी सांसदों से मुखातिब होते हुए कहा कि भारत में शपथ लिए हुए विदेश मंत्री पर उन्हें भरोसा नहीं है, जबकि विदेशी बयानों पर भरोसा है. उन्होंने विपक्षी सांसदों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे 20 साल तक वहीं बैठे रहेंगे. इस दौरान उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से जयशंकर को संरक्षण देने की अपील भी की.

अमित शाह ने कहा कि मेरी एक बात की आपत्ति है कि भारत देश का शपथ लिए हुए विदेश मंत्री बयान दे रहे हैं, उन पर विपक्षी सांसदों को भरोसा नहीं है. मैं समझ सकता हूं कि उनकी पार्टी में विदेश का महत्व क्या है. इसका मतलब यह नहीं है कि पार्टी की सारी चीजें यहां थोपी जाएं. इसीलिए ये वहां बैठे हुए हैं और 20 साल तक वहां बैठे रहेंगे. 

असत्य को भी हम हलाहल समझकर पी गए: शाह 

इसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने अपना बयान देना जारी रखा, लेकिन विपक्षी सांसदों की टोकाटोकी खत्म नहीं हुई. अमित शाह ने एक बार फिर खड़े होकर इस पर आपत्ति जताई. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से कहा कि विदेश मंत्री जी को संरक्षण देना चाहिए. उनके वक्‍ता जब बोल रहे थे, हमने धैर्य से सुना. मैं बताऊंगा कि कल कितनी असत्य बातें बोली गई हैं. फिर भी असत्य को भी हम हलाहल समझकर पी गए. अब ये सत्य भी नहीं सुन पाते हैं. माननीय अध्यक्ष जी मुझे लगता है कि आपको प्रोटेक्शन देना चाहिए. बैठे बैठे टोकाटाकी करना सबको आता है.

Advertisement

उन्‍होंने कहा कि जब इतने गंभीर विषय पर जब चर्चा हो रही हो तो सरकार के प्रमुख विभाग के मंत्री को बैठे बैठे टोकना क्या शोभा देता है. माननीय आपको भी उनको आग्रह से कहना चाहिए, वरना हम भी अपने मेंबर को समझा नहीं पाएंगे.

Advertisement

मजबूत और दृढ़ संकल्‍प देना जरूरी था: जयशंकर 

वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना जरूरी था. हमारी सीमाएं लांघी गई थीं और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे. पहला कदम यह उठाया गया कि 23 अप्रैल को कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक हुई. उस बैठक में निर्णय लिया गया कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह और विश्वसनीय रूप से बंद नहीं करता. इसके अलावा, अटारी एकीकृत जांच चौकी को तत्काल बंद किया जाएगा. सार्क वीजा छूट योजना के तहत यात्रा करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को अब यह सुविधा नहीं मिलेगी. पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा घोषित (अवांछित व्यक्ति) किया जाएगा. उच्चायोग की कुल कर्मचारी संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी."

Advertisement

Topics mentioned in this article