"तीर्थों को पर्यटन स्‍थल घोषित करने से बड़ा कोई अपराध नहीं" : सम्‍मेद शिखर मु्द्दे पर जैन धर्मगुरु

नयपद्मसागर जी ने कहा कि पर्यावरण को लेकर हमने, भगवान महावीर और तीर्थकंरों की परंपरा ने अदभुत उपदेश दिए हैं. पर्यावरण की रक्षा हमने सदियों से की है.

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नयपद्मसागर जी महाराज ने कहा, भारतीय संस्‍कृति का मूलाधार हमारे तीर्थ हैं
नई दिल्‍ली:

सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के प्रस्ताव के विरोध में जैन समाज खुलकर सामने आ गया है. इस मुद्दे पर देशभर में कई स्‍थानों पर प्रदर्शन हुए हैं.  इस मुद्दे पर जैन धर्मगुरु नयपद्मसागर जी महाराज ने NDTV से बातचीत की. सम्‍मेद शिखर को पर्यटन स्‍थल बनाए जाने को लेकर जैन समाज को क्‍या ऐतराज है. अगर यह पर्यटन स्‍थल बना तो लोग ज्‍यादा आएंगे और धर्म का प्रचार-प्रसार भी हो सकेगा, इस सवाल के जवाब में  पद्म सागर जी महाराज ने कहा, " भारतीय संस्‍कृति कहती है कि आचार खोकर के कोई प्रचार नहीं होता. आचार यानी पवित्रता, विशुद्धि, भोजन-विचारों और क्रियाओं की विशुद्धि. तीर्थों के अंदर आदमी क्‍यों जाता है, निष्‍पाप बनने और कर्मों से मुक्‍त बनने के लिए, पापों से मुक्‍त होते हुए परमात्‍मा बनने के लिए वह तीर्थ स्‍थानों में जाता है. अन्‍य स्‍थानों में किया गया पाप, तीर्थ स्‍थानों में छोड़ता है. यदि तीर्थ स्‍थानों में पाप करेगा तो व्‍यक्ति कहां छोड़ेगा. शास्‍त्र कहते हैं कि भारतीय पंरपरा के जैन धर्मग्रंथ, हिंदू धर्मग्रंथ यह पुकार-पुकारकर कहते हैं कि तीर्थ स्‍थानों में पाप करे तो जीव सात बार नर्क में जाता है. यह स्‍थान हमारे लिए बहुत पवित्र है, भारतीय संस्‍कृति के लिए पवित्र है. जैनों के लिए यह तीर्थ बहुत पवित्र हैं."

इस सवाल पर कि सरकार ने इसे ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया है और वह यहां के पर्यावरण को सहेजकर रखना चाहती है, नयपद्मसागर जी ने कहा कि पर्यावरण को लेकर हमने, भगवान महावीर और तीर्थकंरों की परंपरा ने अदभुत उपदेश दिए हैं. पर्यावरण की रक्षा हमने सदियों से की है.अकबर से लेकर पालगंज के राजा तक ये सारे पहाड़ जैनों के पास थे, तब से हमने पर्यावरण की रक्षा की है. आज भी पर्यावरण के लिए जैन धर्म जितने उपदेश देता है विश्‍व का कोई धर्म नहीं देता. हम पानी को भी घी की तरह उपयोग में लेते हैं. एक पत्‍ते-फूल को भी तोड़ना भी पाप है. केवल परमात्‍मा की भक्ति के लिए श्रेष्‍ठ, खुशबू वाला फूल ही अलाउड है. कोई पेड़-पौधे को भी छूना भी गुनाह है इससे बढ़‍िया पर्यावरण की रक्षा और क्‍या हो सकती है?

इस मामले में विरोध प्रदर्शन को कितना आगे ले जाएंगे, सरकार से क्‍या उम्‍मीद है,  जवाब में जैन धर्मगुरु ने कहा कि सबसे अहम बात है कि भारतीय संस्‍कृति का मूलाधार हमारे तीर्थ है. तीर्थों में इतनी महिमा है. ये दोनों तीर्थ सम्‍मेद शिखर और गुजरात के गिरिराज पालिताना में जैनों की मान्‍यताएं हैं. ऐसे तीर्थों को पर्यटक स्‍थल घोषित करने से बढ़कर कोई अपराध नहीं होता. जैन समाज शांतिप्रिय है कभी सड़कों पर नहीं आता कि लेकिन  हम बहुत ज्‍यादा आहत हुए हैं और सरकार से निवेदन कर रहे है कि तीर्थों के साथ ऐसा नहीं किया जाए. इस मामले में झारखंड के सीएम से पूछूंगा कि पर्यटन स्‍थल के तौर पर घोषित करने से पहले क्‍या जैन समाज से पूछा गया था?  

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