सोने का पैर, सोने का हाथ... जब 208 किलो के ‘स्वर्ण भेष’ में निकले भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ

Jagannath Puri Mandir : भगवान जगन्नाथ की महिमा तो अपरंपार है ही, उनकी देखभाल भी बड़े ही अलग अंदाज से की जाती है. स्वर्ण भेष में देखें भगवान जगन्नाथ को...

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Jagannath Puri Mandir : भगवान जगन्नाथ भ्रमण पर निकले हैं.

Jagannath Puri Mandir : ओडिशा के पुरी में बुधवार को भगवान जगन्नाथ के 'स्वर्ण भेष' आयोजन को देखने के लिए करीब 15 लाख लोग एकत्रित हुए. इस आयोजन में रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को बहुमूल्य रत्नों से जड़े स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया था. अपने रथों पर विराजित भगवान जगन्नाथ के भाई-बहनों (देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र) की मूर्तियों को भी सेवायतों द्वारा बारहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध मंदिर के सिंह द्वार के सामने स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया. ये भी पढ़ें-भगवान जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद खुला; जानें खजाने में क्या-क्या मिला?

सूत्रों ने कहा कि देवी-देवता इस अवसर पर लगभग 208 किलोग्राम सोने के आभूषण पहनते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार यह परंपरा 15वीं सदी से चली आ रही है. देवी-देवताओं की मूर्तियों के इस श्रृंगार को 'स्वर्ण भेष' कहते हैं.

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने संवाददाताओं को बताया, 'भक्त बुधवार रात 11 बजे तक देवी- देवताओं के दर्शन कर सकते हैं.' ये भी पढ़ें-'रत्न भंडार' के लकड़ी के बक्सों में कौन-कौन से रत्न, 1978 में 70 दिन तक चली गिनती में क्या मिला था, पूरी लिस्ट

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पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा, 'हमने 15 लाख भक्तों के लिए सुचारू दर्शन की व्यवस्था की है. रात करीब 11 बजे देवताओं की स्वर्णिम पोशाकें उतार दी जाएंगी. लोग शाम पांच बजे से रात 11 बजे के बीच तीनों देवी-देवता के दर्शन कर सकते हैं.'

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श्री जगन्नाथ संस्कृति शोधकर्ता असित मोहंती के अनुसार, पुरी मंदिर में 'स्वर्ण भेष' अनुष्ठान 1460 में राजा कपिलेंद्र देव के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था, जब राजा दक्षिण भारत के शासकों से युद्ध जीतने के बाद 16 गाड़ियों में सोना भरकर ओडिशा लाए थे.

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