- भरतपुर के मोती महल पर दो झंडों को लेकर राजघराने में विवाद पैदा हो गया है और इस पर जाट समाज भी बंट गया है.
- 21 सितंबर को एक व्यक्ति ने रात में गाड़ी से महल का सदर गेट तोड़कर अंदर प्रवेश किया और रियासतकालीन झंडा लहराया
- पूर्व राजपरिवार के सदस्य अनिरुद्ध सिंह ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया है.
राजस्थान के एक शाही परिवार में इन दिनों घमासान मचा हुआ है. भरतपुर में इस पूरे बवाल ने जाट समुदाय को बांटकर रख दिया है. 109 साल पुराने शाही ठिकाने मोती महल पर जाट समाज की तरफ से 21 सितंबर को रियासतकालीन झंडा लगाने का ऐलान किया गया था. लेकिन पूर्व महाराजा विश्वेंद्र सिंह की अपील और प्रशासन द्वारा तिरंगा झंडा लगाने के बाद जाट समाज ने अपना फैसला बदल दिया. फिर भी पुलिस प्रशासन ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर के साथ मोती महल के आसपास पुलिस बल तैनात किया. दिनभर शांति रहने के बाद शाम को पुलिस बल को हटा दिया था.
क्या है सारा विवाद
विवाद दो झंडों को लेकर है, दोनों ही पूर्व राजघरानों के हैं. एक 'पचरांगा' यानी हरा, नारंगी, बैंगनी, पीला और लाल रंग का झंडा है, जबकि दूसरा सरसों के रंग का है जिस पर लाल, नीले और जंग लगे स्क्वॉयर और हनुमानजी की फोटो है. समुदाय इस बात पर बंटा हुआ है कि महल की प्राचीर से कौन सा झंडा फहराया जाए. हाल ही तक महल के ऊपर दूसरा झंडा लहरा रहा था, लेकिन एक महीने पहले उसे पहले वाले से बदल दिया गया, जिससे बहस छिड़ गई और वर्तमान राजपरिवार भी इस मुद्दे पर पक्ष लेने लगा.
यह रियासत कालीन फ्लैग है
गाड़ी से तोड़ा महल का गेट
देर रात शख्स ने मोती महल के सदर गेट को गाड़ी से तोड़ दिया और सोशल मीडिया पर वीडियो भी शेयर किया. सोशल मीडिया पर वीडियो लाइव करने के साथ ही मोती महल के सदर गेट को तोड़कर अदंर प्रवेश किया और रियासत कालीन झंडा हाथ में लेकर लहराया. गेट की आवाज सुन सुरक्षाकर्मी आए उन्हें देख शख्स वहां से भाग निकला. कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर लाइव किया जिसमें नजर आ रहा था कि मोती महल के पीछे का सदर गेट, गाड़ी से तोड़ दिया गया और कुछ लोग उसमें दाखिल हो गए. इन लोगों के हाथों में रियासतकालीन झंडा था और उन्होंने एक वीडियो बनाया लेकिन झंडा नहीं लगाया.
गेट तोड़ना बेहद शर्मनाक
भरतपुर के मोती महल परिसर में देर रात गेट तोड़ने का वीडियो सामने आने के बाद अनिरुद्ध सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की. पूर्व राजपरिवार के सदस्य ने कहा कि मोती महल के गेट को तोड़ना बेहद शर्मनाक है, जहां मोती महल की ऐतिहासिक बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो सकती थी. रात में ड्यूटी पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड को भी चोट पहुंचाई जा सकती थी, यह दुर्भाग्यपूर्ण वारदात है. उन्होंने कहा कि इस वारदात के पीछे जो असामाजिक तत्व है, उनके नाम हमने पुलिस को भेज दिए हैं. इस वारदात के बाद महल की कोई भी प्रॉपर्टी सुरक्षित नहीं है, इसलिए हमने हर तरह के झंडे को हटा दिया है. सूचना मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे FSL टीम बुलाकर मौके से सबूत जुटाए.
महल मेरा घर है...
पूर्व राजकुमार अनिरुद्ध सिंह ने कहा, 'परंपरागत तौर पर दो झंडे होते हैं. एक का इस्तेमाल युद्ध के लिए किया जाता था और दूसरा शांतिकाल का झंडा था. महल मेरा घर है और मुझे कोई भी झंडा फहराने का अधिकार है... बशर्ते वह अलगाववादी झंडा या किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ का प्रतीक झंडा न हो.'
भरतपुर में शाही विवाद के बीच एनडीटीवी से एक खास बातचीत में अनिरुद्ध सिंह ने कहा, 'मैं अपनी संपत्ति पर कोई भी ध्वज लगा सकता हूं. प्रशासन की सलाह पर मैंने तिरंगा भी फहराया. हनुमान ध्वज युद्ध के समय फहराया जाता है. मैंने पचरंगा लगा के उसका ट्वीट किया.'
उन्होंने आगे कहा, 'विवाद बेबुनियाद है और जो मेरे खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं करते रहें. ये मेरे पिता द्वारा प्रायोजित है. मेरे पिता महाराज विश्वेन्द्र सिंह और मेरी बीच संपत्ति का विवाद है. वह कोर्ट के फैसला का इंतजारनही करके इस तरह से विवाद पैदा कर रहे हैं. मैं अपनी संपत्ति पर कोई भी ध्वज लहरा सकता हूं. अगर वो अलगावादी नही है तो किसी को ऐतराज क्यों है.'
दौलत सिंह फौजदार ने कहा कि पंचायत में फैसला हुआ है कि सरकार से सहमति के बाद ही ध्वज लगाया जाएगा और यह हमारा जो संघर्ष है जारी रहेगा दूसरी बात यह है कि मनुदेव सिनसिनी के खिलाफ अगर कोई भी कार्रवाई हुई तो वह ठीक नहीं होगी.
गेट टूटने की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया और मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया. एसडीएम राजीव शर्मा और एडिशनल एसपी सतीश कुमार यादव मौके पर पहुंचे और एफएसएल टीम ने सबूत जुटाए हैं. एडिशनल एसपी सतीश यादव ने बताया कि जांच में पता चला है कि तीन लोग थे जिन्होंने गाड़ी से सदर गेट पर टक्कर मारी और अंदर करीब 50 मीटर तक प्रवेश किया. यह झंडे को लेकर के राज परिवार का विवाद था लेकिन जानबूझकर के इसे कुछ असामाजिक तत्वों ने तूल देने की कोशिश की गई है.
पुलिस ने जुटाए सारे सबूत
पुलिस को फायरिंग की सूचना मिली थी लेकिन मामला कुछ और निकला जब यह तीनों लोग अंदर प्रवेश किए थे गेट की आवाज सुनकर गार्ड आए और गार्ड्स को देखकर के यह भाग गए. मौके ओर एफएसएल टीम को बुलाकर सबूत जुटाए हैं. पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि शांति व्यवस्था बनी हुई है. तीनों आरोपी मौके से भाग निकले हैं और पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है. पुलिस ने जिस गाड़ी से गेट को टक्कर मारी गई थी उसे अपने कब्ज में ले लिया है. उस वक्त अनिरुद्ध सिंह महल के अंदर थे.घटना के बाद अनिरुद्ध सिंह मथुरा गेट थाने में मामला दर्ज कराने पहुंचे.
गेट तोड़ने वाले के साथ पूर्व राजा
रियासत कालीन झंडा लगाने के लिए जाट समाज की ओर से जगह-जगह पंचायत करके 21 सितंबर को मोती महल आने का निमंत्रण दिया था. मामले को बढ़ता देख जिला प्रशासन ने मोती महल पर तिरंगा झंडा लगा दिया. लेकिन विश्वेंद्र सिंह की अपील और प्रशासन द्वारा तिरंगा झंडा लगाने के बाद जाट समाज ने अपना फैसला बदल दिया. मोती महल के गेट को तोड़ अंदर प्रवेश करने वाले मनुदेव सिंसिनी भी इस पंचायत में शमिल हुए थे. उन्होंने कहा जो हमारे पूर्वजों के सम्मान में एक बार नहीं बल्कि बार-बार गलती करनी पड़े तो करूंगा. उन्होंने स्वीकार किया कि गेट अपनी गाड़ी से तोड़ा और अंदर 40 मिनट तक रहे उन्होंने रियासत कालीन झंडा भी लगाया.
महाराजा विश्वेंद्र सिंह ने फोन पर लोगो से बात करते हुए कहा, 'मोती महल पर राष्ट्रीय ध्वज लगा दिया. उसके नीचे हम अपना ध्वज नहीं लगा सकते थे क्योंकि उसमें हनुमानजी मौजूद हैं. हनुमान जी हमारे इष्ट हैं और उन्हें ऊपर लगाए तो दिक्कत राष्ट्रीय झंडा गौरव है, उसे नीचे लगाएं तो दिक्कत. मेरा तो यही कहना है और मनुदेव सिनसिनी और दौलत फौजदार को कुछ नहीं होगा.'
कुंवर ने दर्ज कराया केस
मोती महल के गेट को तोड़कर अंदर प्रवेश करने के मामले को लेकर कुंवर अनिरुद्ध सिंह ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. मथुरा गेट पुलिस ने मनुदेव सिनसिनी, संतोष फौजदार, दिनेश सिनसिनी, भगत सिंह और दौलत के खिलाफ धारा 458 के तहत केस दर्ज किया गया है. इस घटना के बाद डीग जिले के गांव सिनसिनी में एक पंचायत का आयोजन किया गया. इसमें जाट समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया. महाराजा विश्वेंद्र सिंह ने जाट समाज के लोगों को फोन पर बात कर भरोसा दिलाया कि महल के मामले में किसी का कुछ नहीं होगा.
पिता-पुत्र के टकराव का हिस्सा
भरतपुर में कई लोग इस विवाद को अनिरुद्ध सिंह और उनके पिता विश्वेंद्र सिंह के बीच चल रहे टकराव का हिस्सा मानते हैं. दोनों के बीच संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है, जिसमें विश्वेंद्र सिंह अपने बेटे से भरण-पोषण की मांग कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि उन्हें उनके महल से अवैध रूप से निकाल दिया गया है. हनुमान ध्वज के समर्थकों को विश्वेंद्र सिंह का मौन समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने सिनसी और उनके साथियों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किए जाने की भी निंदा की है. स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.