Chandrayaan-3 का इंतजार खत्म, ISRO 13 जुलाई को करेगा लॉन्च, जानें क्यों खास है ये मिशन

अगर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल रहती है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं.

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चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी.
नई दिल्ली:

भारत में चंद्रयान-3 मिशन का इंतजार खत्म होने वाला है. ये स्पेसशिप शिप चांद पर उतरने को तैयार है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-3 को 13 जुलाई की लॉन्च करेगा. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा सेंटर से दोपहर 2:30 बजे चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग होगी. अगर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल रहती है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं.

चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था. करीब 2 महीने बाद 7 सितंबर 2019 को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने की कोशिश कर रहा विक्रम लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसी के साथ चंद्रयान का 47 दिन का सफल सफर खत्म हो गया था. इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा है. 

चंद्रयान-3 क्या है?
चंद्रयान मिशन के तहत इसरो चांद की स्टडी करना चाहता है. भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सफल लॉन्चिग की थी. इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में भारत को असफलता मिली. अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करके इतिहास रचने की कोशिश में है. इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी. चंद्रयान-3 के तीन हिस्से- प्रोपल्शन मॉड्यूल,  लैंडर मॉड्यूल और रोवर तैयार किए गए हैं. इन्हें जिसे टेक्निकल भाषा में मॉड्यूल कहते हैं. 

दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा. इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसमें कई अतिरिक्त सेंसर को जोड़ा गया है. इसकी गति को मापने के लिए इसमें एक 'लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर' सिस्टम लगाया है. 

सभी टेस्टिंग में पास
चंद्रयान-3 मिशन के लॉन्चिंग व्हीकल के क्रायोजेनिक ऊपरी फेज को रफ्तार देने वाले सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का उड़ान टेंपरेचर टेस्टिंग में भी सफल रहा था. इसके पहले लैंडर का एक टेस्टिंग ईएमआई/ईएमसी भी सफलतापूर्वक पूरा हुआ था.

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटेर से होगा काम
चंद्रयान-2 में इन तीनों मॉड्यूल के अलावा एक हिस्सा ऑर्बिटर भी था. इसरो ने चंद्रयान-3 के लिए ऑर्बिटर नहीं बनाया है. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा के चक्कर काट रहा है. अब इसरो उसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 में करेगा.

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GSLV एमके III से किया जाएगा लॉन्च
चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एमके III से लॉन्च किया जाएगा. यह तीन स्टेज वाला लॉन्च व्हीकल है, जिसका निर्माण इसरो द्वारा किया गया है. देश के इस सबसे हैवी लॉन्च व्हीकल को 'बाहुबली' नाम से भी जाना जाता है.

चंद्रमा की सतह के बारे में मिलेगी जानकारी
चंद्रयान-3 मिशन के साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को भेजा जाएगा, जिससे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की जानकारी मिलने में मदद हो सकेगी.

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हमने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा- इसरो चीफ
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान -2 मिशन में हम असफल हुए थे. जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें. चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे.


मालूम हो कि साल 2024 में गगनयान मिशन के जरिए भारत पहली बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी की है.

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