इजराइल-गाजा युद्ध भारत के लिए कूटनीतिक परीक्षा क्यों है?

शनिवार, 6 अक्टूबर का दिन इजराइल के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था. हमास के आतंकियों ने गाजा पट्टी से एक साथ 5 हजार रॉकेटों की बौछार (Israel-Gaza War) कर दी, इजराइल ने इसका मुकाबला पूरी मुस्तैदी से किया लेकिन वह अबतक अपने करीब 700 नागरिक और सैनिक गंवा चुका है.

विज्ञापन
Read Time: 27 mins

इजराइल-गाजा युद्ध

इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध और रॉकेट हमलों (Israel-Hamas War) को लेकर दुनिया दो खेमों में बंट गई है. कई देश इजराइल को सपोर्ट कर रहे हैं तो कई फिलिस्तीन के समर्थन में हैं. भारत कूटनीतिक रूप से खुद को कठिन परिस्थति में महसूस कर रहा है. यह युद्ध ऐसे समय में हो रहा है जब नई दिल्ली क्षेत्रीय गठबंधनों और राजनयिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ मध्य पूर्व में एक बड़ी भूमिका पर जोर दे रही थी.

ये भी पढ़ें- Ground Report: "रॉकेट, तबाही, सुनसान सड़कें...": ऐसा है गाजा से 10 किमी दूर अश्कलोन शहर का मंजर

इज़राइल-गाजा युद्ध पर भारत की प्रतिक्रिया

शनिवार, 6 अक्टूबर का दिन इजराइल के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था. हमास के आतंकियों ने गाजा पट्टी से एक साथ 5 बदजार रॉकेटों की बौछार कर दी, इजराइल ने इसका मुकाबला पूरी मुस्तैदी से किया लेकिन वह अबतक अपने करीब 700 नागरिक और सैनिक गंवा चुका है. दुनियाभर में इस हमले की निंदा की गई. इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने  इजराइल का समर्थन जताते हुए एक्स पर पोस्ट कर कहा कि इस आतंकवादी हमले की खबर से वह गहरे सदमे में हैं. उन्होंने कहा था कि इस कठिन घड़ी में हम इजराइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं. हालांकि विदेश मंत्रालय की तरफ से अब तक कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर और मंत्रालय के हैंडल से सिर्फ पीएम के पोस्ट को ही रीट्वीट किया गया है.

Advertisement

इजराइल में हुई हिंसा ने लोगों की राय को दो हिस्सों में बांट दिया है. एक खेमा आतंकवादी हमले की निंदा कर रहा है और वहीं दूसरे का आरोप है कि फिलिस्तीन में इजराइल की कार्रवाइयों की वजह से हमास ने यह प्रतिक्रिया दी है.  इस हालात में पीएम मोदी के पोस्ट को तेल अवीव के समर्थन में स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है. पीएम मोदी का यह संदेश इस दृष्टि से भी अहम है कि चीन और पाकिस्तान, दोनों के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण हैं, उन्होंने इजराइल हमलों पर कैसी प्रतिक्रिया दी.

Advertisement

इजराइल-हमास तनाव पर चीन-पाकिस्तान का रिएक्शन?

चीन ने कहा है कि वह इज़राइल और फ़िलिस्तीन के बीच बढ़ते तनाव और हिंसा से बहुत चिंतित है. हालांकि तेल अवीव और बीजिंग के बीच कोई  विशेष द्विपक्षीय समस्याएं नहीं हैं, लेकिन बीजिंग ने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इज़राइल की निर्माण गतिविधियों का विरोध किया है. पाकिस्तान फिलिस्तीन के साथ खड़ा दिख रहा है. पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ़ ने इजराइल में हिंसा के लिए उनके अवैध कब्जे को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा , "जब इज़राइल फ़िलिस्तीनियों को आत्मनिर्णय और राज्य का दर्जा पाने के उनके वैध अधिकार से वंचित करता रहेगा तो कोई और क्या उम्मीद कर सकता है?".

Advertisement

भारत का खाड़ी फोकस

भारत ने अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के साथ नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा की थी. इसके एक महीने से भी कम समय में इजराइल-गाजा युद्ध हुआ है. जी-20 सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि कनेक्टिविटी परियोजना सदियों तक विश्व व्यापार का आधार रहेगी. इस परियोजना को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के जवाब के रूप में भी देखा गया था.

Advertisement

इजराइल में हिंसा भड़कने से सऊदी अरब ऐसे समय में मुश्किल में पड़ गया है जब अमेरिका इजराइल के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने के लिए मध्यस्थता कर रहा था. हमास के हमले को रियाद के लिए एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है. सऊदी अरब ने हिंसा को तत्काल रोकने का आह्वान करते हुए कहा है कि राज्य ने "फिलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों से वंचित होने और कब्जे के परिणामस्वरूप विस्फोटक स्थिति" की चेतावनी दी थी. वह फिलिस्तीनी हित की अनदेखी करते हुए सामान्यीकरण का प्रयास नहीं करेगा.  इससे महत्वाकांक्षी योजना संभावित रूप से पटरी से उतर सकती है.

मध्य पूर्व पर बढ़ रहा भारत का फोकस

 द्विपक्षीय यात्राओं और रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) समझौते पर हस्ताक्षर के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के तहत सऊदी अरब के साथ भारत के संबंधों में बढ़ोतरी हुई है. पीएम मोदी को किंगडम के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था. पीएम मोदी की जॉर्डन, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, फिलिस्तीन, कतर और मिस्र की यात्राओं ने मध्य पूर्व में अहम मौजूदगी बनाए रखने पर भारत के फोकस को रेखांकित किया है. मध्य पूर्व में पहले भारत की प्राथमिकताएं बड़े स्तर पर व्यापार तक ही सीमित थीं, अब यह रणनीतिक और राजनीतिक भी . भारत अब दिल्ली चीन का मुकाबला करने और अहम  वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरने की कोशिश कर रहा है.

इज़राइल बनाम फ़िलिस्तीन पर भारत

इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर आजादी के बाद से नई दिल्ली का रुख व्यापक रहा है. भारत ने इज़राइल राज्य को 1950 में ही मान्यता दे दी थी. इसके पीछे कई वजह थीं. भारत धर्म के आधार पर दो राष्ट्रों के निर्माण का विरोधी था. इसके अलावा देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू ने बाद में कहा था कि भारत ने "अरब देशों में अपने दोस्तों की भावनाओं को ठेस न पहुंचाने की हमारी इच्छा की वजह से इज़राइल को मान्यता देने से परहेज नहीं किया. इस सालों में भारत के इजराइल के साथ रिश्ते न्यूनतम रहे जबकि वह यासर अराफात के नेतृत्व वाले फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) के साथ जुड़ा रहा.

ये भी पढ़ें-हमास के खिलाफ इजरायल के पूर्व पीएम नफ्ताली बेनेट सैनिकों के साथ युद्ध के मैदान में उतरे | 10 बड़ी बातें