मुस्लिम बहुल कैराना सीट पर BJP-RLD की दोस्ती को कैसे मात देंगी 28 साल की इकरा हसन? खुद बताई रणनीति

कैराना से चार बार के सांसद रह चुके मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन ने लंदन में कानून की पढ़ाई की है. उनके पिता उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े चेहरे रहे थे.

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नई दिल्ली:

कैराना लोकसभा सीट (Kairana Lok Sabha seat) जहां दूसरी बार बीजेपी के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी चुनावी मैदान में हैं वहीं इंडिया गठबंधन से इकरा हसन को चुनावी मैदान में उतारा है. विधानसभा चुनाव में हिन्दू पलायन के मुद्दे को लेकर कैराना सुर्खियों में रहा था. समाजवादी पार्टी ने इस बार लंदन में कानून की पढ़ाई कर चुकी इकरा हसन को मैदान में उतारा है. एनडीटीवी से बात करते हुए इकरा हसन (Iqra hassan) ने कहा कि पिछले चुनावों में हिंदू पलायन के मुद्दे को उठाकर बीजेपी की तरफ से लाभ लेने का प्रयास किया गया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. हालांकि इस मुद्दे से बीजेपी अन्य जगहों पर फायदा उठा लेती है.

इकरा हसन ने बताया राजनीति में कैसे हुई एंट्री? 
कैराना से चार बार के सांसद रह चुके मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन ने लंदन में कानून की पढ़ाई की है. उनके पिता उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े चेहरे रहे थे. एनडीटीवी से बात करते हुए इकरा ने बताया कि मैं पिछले 2 साल से राजनीति में सक्रिय हूं.  मुझे अब इससे काफी उम्मीदें हैं. 

मेरे भाई पर लगाए जा रहे आरोप गलत हैं: इकरा हसन
समाजावादी पार्टी के नेता और इकरा हसन के भाई नाहिद हसन का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उनके ऊपर जो भी मुकदमें हैं वो लोगों के लिए काम करते हुए हैं. जनता की तरफ से बीजेपी के दुष्प्रचार का जवाब लगातार मिलता रहा है. उनके ऊपर जिस तरह से आरोप लगते हैं उसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है. जनता ने जवाब दे दिया है. बीजेपी की दोनों ही जगहों पर सरकार है अगर इनके आरोपों में कोई सच्चाई होती तो अब तक अदालत से कार्रवाई हुई होती. 

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इकरा हसन ने बताया कि कैराना से समाजवादी पार्टी से उम्मीदवारी के लिए कई लोग लगे थे. लेकिन मैं भाग्यशाली थी कि पार्टी ने मेरे ऊपर विश्वास जताया है. मैं लगातार 2 साल से फिल्ड में काम कर रही थी. वो हमारे पक्ष में रहा.

कैराना में क्या है चुनावी मुद्दे? 
इकरा हसन ने बताया कि पिछले 5 साल का रिकॉर्ड है हमारे पास कि डबल इंजन की सरकार रहते हुए भी कैराना में कोई काम नहीं हुआ है. कोई ऐसी योजना नहीं आयी जो सरकार की तरफ से आयी. हमारे यहां मेडिकल कॉलेज नहीं है, कॉलेज की कमी है. यह सब सरकार के माध्यम से हो सकता था. पिछले पांच साल जो सांसद थे वो बीजेपी के थे सत्ता उनके साथ थी फिर भी वो काम नहीं करवा पाए. 

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आरएलडी के साथ गठबंधन टूटने का क्या होगा असर? 
आरएलडी के साथ गठबंधन टूटने से होने वाले नुकसान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि शुरू में मुझे भी लगा था कि आरएलडी के जाने से नुकसान होगा लेकिन जिस तरह से मैंने देखा है कि हमारे जिले में लोगों का मन बीजेपी के विपरित रह है. ऐसे में इस बेमेल गठबंधन का लाभ उन्हें नहीं मिलेगा. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का इस क्षेत्र से सफाया हो गया था. यह गन्ना का इलाका है. किसानों का आंदोलन चला था यहां. इसलिए मैं कह रही हूं दल मिल गए हैं दिल नहीं मिले हैं. वैचारिक लड़ाई में लोग हमारे साथ खड़े हैं.

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