भिंडरावाले को गिरफ्तार करने वाले इकबाल सिंह लालपुरा बीजेपी के शीर्ष संगठन में सिख चेहरा है

भाजपा के शीर्ष निर्णय लेने वाले पैनल में शामिल सिख चेहरा इकबाल सिंह लालपुरा मौजूदा समय में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं. लेकिन उनकी पहचान आज भी पंजाब पुलिस के अधिकारी के रूप में है...और वो भी इसलिए जाने जाते हैं कि उन्होंने जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार किया था.

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इक़बाल सिंह लालपुरा भाजपा के संसदीय बोर्ड में एक मशहूर सिख चेहरा हैं.
चंडीगढ़/नई दिल्ली:

भाजपा के शीर्ष निर्णय लेने वाले पैनल में शामिल सिख चेहरा इकबाल सिंह लालपुरा मौजूदा समय में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं. लेकिन उनकी पहचान आज भी पंजाब पुलिस के अधिकारी के रूप में है...खास तौर पर आज से 40 वर्ष पहले की एक घटना को लेकर जो उनकी अब तक की विरासत में सबसे अलग है. 1981 में  लालपुरा उन तीन अधिकारियों में से एक थे, जिन्होंने कुछ सिखों और निरंकारी संप्रदाय के सदस्यों के बीच झड़प से संबंधित एक मामले में आतंकवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार किया था.

भिंडरावाले इस शर्त पर गिरफ्तारी के लिए राजी हो गया था कि केवल एक सिख अधिकारी ही उसे गिरफ्तार करेंगे. दो पुलिसकर्मियों की टीम में एक लालपुरा थे और दूसरे जरनैल सिंह चहल. इसके अलावे उप-विभागीय मजिस्ट्रेट बीएस भुल्लर भी थे.

प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक अधिकारी के रूप में लालपुरा ने 1990 के दशक तक पंजाब में उग्रवाद की अवधि के दौरान अमृतसर के सीमावर्ती जिलों में प्रमुख पदों पर कार्य किया. वह 2012 में सेवानिवृत्त हुए और भाजपा में शामिल हो गए. 

हालांकि उन्हें चुनावों में सफलता नहीं मिली लेकिन फिर भी अगर भाजपा एक सिख-बहुल राज्य में उन्हें एक विकल्प मानती है तो यह काफी दिलचस्प है. इस साल वह अपने पैतृक विधानसभा क्षेत्र रूपनगर से हार गए थे  जब आम आदमी पार्टी पंजाब की सत्ता में आई थी. हालांकि यह उनका व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है.

पिछले साल कृषि कानूनों को लेकर शिरोमणि अकाली दल (SAD) के साथ गठबंधन टूटने के बाद भाजपा राज्य में किसी ऐसे सहयोगी को तलाशने लगी जिसके साथ वो जुनियर पार्टनर बनकर भी रहने को तैयार थी. कांग्रेस से बाहर निकलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ इसका समझौता हो गया. लेकिन वास्तविक चुनौती तो मजबूत उम्मीदवारों को खोजने की थी.

ऐसे हालात में 68 वर्षीय लालपुरा का कुछ तो प्रोफाइल था ही. वो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक पैनल के प्रमुख थे औऱ बतौर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता वो टीवी डिबेट में शामिल होते थे. फिर भी, वह आप, कांग्रेस और अकाली दल के बाद चौथे स्थान पर आते हुए 8 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल कर पाए. वैसे पंजाब में भाजपा को महज 6.6 प्रतिशत वोट ही मिले थे.

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भाजपा नेताओं ने कहा है कि वे जानते हैं कि पार्टी को वैसे भी पंजाब में एक नई शुरुआत की जरूरत है. भाजपा राज्य के चुनावों के तुरंत बाद से कांग्रेस और अकाली दल के भूतपूर्व  विधायकों, विशेष रूप से सिख नेताओं को इकट्ठा कर रहा है.

कांग्रेस में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. पंजाब की जनता को अंतिम समय में मुख्यमंत्री बदलने का दांव पसंद नहीं आया. और अकाली दल लगातार दूसरी बार हार से जूझ रहा है.

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लेकिन भाजपा के पास अभी भी एक सिख चेहरे की कमी है जिसे पूरे पंजाब में स्वीकार किया जा सके. चुनाव के ठीक बाद हिंदू समुदायों में से कांग्रेस के पूर्व नेता सुनील जाखड़ को अपने खेमे में शामिल कर लिया था. लेकिन सिखों की संख्या राज्य में 62 फीसदी से ज्यादा है और बीजेपी यहीं पिछड़ गई है.

सिख धर्म और पंजाबी संस्कृति पर एक दर्जन से अधिक किताबें लिखने वाले लालपुरा को इसलिए ही भाजपा की तरफ से प्रमुखता दी जा रही है. भाजपा के पास एक बार पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू थे, जो अकालियों के साथ गठबंधन में दूसरी भूमिका निभा रहे थे. तब से उनका कांग्रेस के साथ काफी जुड़ाव रहा है. फिलहाल वे एक साल की जेल की सजा काट रहे हैं.

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पूर्व अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा भी अब भाजपा के साथ हैं, लेकिन वह दिल्ली से हैं. लेकिन लालपुरा एक जटिल सियासी नक्शे पर एक सीधी रेखा नहीं हैं. आतंकवाद की अवधि के दौरान एक पुलिस अफसर के उनके इतिहास को देखते हुए वो सिखों के एक वर्ग के लिए पहली पसंद नहीं हो सकते हैं. इस अवधि के अंतिम दौर मे पुलिस मुठभेड़ हुई. हालाँकि, वह अपनी धार्मिक-साहित्यिक पहचान का दावा कर सकते हैं.

फिलहाल वह भाजपा संसदीय बोर्ड के छह नए चेहरों में से एक हैं. लालपुरा को सिख और पंजाबी बताते हुए पार्टी के सूत्रों ने कहा, "विविधता पर जोर" है.

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चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अल्पसंख्यक पैनल के प्रमुख के पद से इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन अप्रैल में चुनाव हारने के बाद उन्हें फिर से नियुक्त किया गया था.

वह पंजाब में जमीनी स्तर पर भाजपा के लिए कितने प्रमुख हैं, यह एक सप्ताह में देखा जा सकता है. इस हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक समारोह के सिलसिले में मोहाली जाने वाले हैं.

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