पाकिस्तान घर जैसा लगता है... बयान पर सैम पित्रोदा ने दी सफाई, बताया क्या था उनकी बात का मतलब

सैम पित्रोदा ने कहा कि यदि मेरे शब्दों ने किसी को भ्रम हुआ हो तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरा इरादा कभी भी किसी की पीड़ा को कम आंकना या वैध चिंताओं को नजरअंदाज करना नहीं था

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने अपने हालिया इंटरव्यू के बाद उठे विवादों पर सफाई दी है. इस इंटरव्यू में पित्रोदा ने नेपाल, बांग्लादेश से लेकर कथित तौर पर पाकिस्तान की तारीफ की थी और कहा था कि वहां मुझे घर जैसा लगता है. पित्रोदा ने अपनी सफाई में कहा है कि उनके बयान को संदर्भ से हटकर पेश किया गया है. मेरा उद्देश्य वास्तविकताओं की तरफ ध्यान दिलाना था. मेरा इरादा किसी की पीड़ा को कम करके आंकना या वैध चिंताओं को नजरअंदाज करना नहीं था.

'चुनौतियों को अनदेखा करना इरादा नहीं'

सैम पित्रोदा ने कहा कि मैंने जब यह कहा कि पड़ोसी देशों की यात्रा के दौरान मुझे अक्सर ‘घर जैसा' महसूस होता है, या फिर यह कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से हमारी जड़ें साझा हैं, तो मेरा आशय साझा इतिहास और लोगों के बीच रिश्तों पर जोर देना था. किसी की पीड़ा, संघर्ष या आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनावों से पैदा हुई गंभीर चुनौतियों को नजरअंदाज करना नहीं था. मेरा उद्देश्य हमेशा उन वास्तविकताओं की तरफ ध्यान आकर्षित करना रहा है, जिनका हमें सामना करना पड़ रहा है जैसे कि चुनावी प्रक्रिया से जुड़े मुद्दे, नागरिक समाज व युवाओं के महत्व और भारत की भूमिका चाहे पड़ोस में हो या वैश्विक स्तर पर.  

बताया ‘विश्वगुरु' की अवधारणा को क्यों दी चुनौती

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि इसी तरह जब मैंने ‘विश्वगुरु' की अवधारणा को चुनौती दी और कहा कि यह एक मिथक है कि भारत हमेशा सबकी सोच के केंद्र में है, तो मेरी मतलब इमेज पर अति आत्मविश्वास के बजाय सबूतों पर जोर देने से था. उन्होंने कहा कि विदेश नीति को वास्तविक प्रभाव, आपसी विश्वास, शांति और क्षेत्रीय स्थिरता पर आधारित होना चाहिए, न कि दिखावे या खोखले दावों पर.

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पित्रोदा बोले, लोकतंत्र की रक्षा जरूरी

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा कि हमें लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी. मुक्त व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना, संस्थाओं को मजबूत करना, युवाओं को सक्षम बनाना, अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करना और विज्ञान की राजनीति का विरोध करना, ये कोई दमनकारी मुद्दे नहीं हैं. ये हमारी राष्ट्रीय पहचान और मूल्यों के केंद्र में हैं.

मेरे शब्दों से किसी को भ्रम हुआ हो तो...

पित्रोदा ने बयान में आगे कहा कि यदि मेरे शब्दों ने किसी को भ्रम हुआ हो तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरा इरादा कभी भी किसी की पीड़ा को कम आंकना या वैध चिंताओं को नजरअंदाज करना नहीं था. मेरा उद्देश्य ईमानदार संवाद, सहानुभूति और ठोस व जिम्मेदार दृष्टिकोण को बढ़ावा देना था, जिससे भारत स्वयं को देखता है और दुनिया उसे देखती है.

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उन्होंने कहा कि मैं पारदर्शिता के साथ सम्मानजनक संवाद और साझा भविष्य के लिए काम करने को प्रतिबद्ध हूं. ऐसा कार्य, जहां हम अपनी संस्थाओं, नागरिक समाज, सुरक्षा और संरक्षण को मजबूत बनाएं ताकि हमारे काम वास्तव में हमारे आदर्शों पर खरे उतरें.

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