'क्लेम खारिज नहीं कर सकतीं बीमा कंपनियां, भले ही...' मेडिक्लेम पॉलिसी पर SC की अहम टिप्पणी

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने यह भी कहा कि प्रस्तावक का कर्तव्य है कि वह बीमाकर्ता को दी जाने वाली जानकारी में सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा करे. 

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
मेडिक्लेम पॉलिसी पर SC की अहम टिप्पणी
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कोई बीमाकर्ता पॉलिसी जारी होने के बाद प्रस्ताव फॉर्म में बीमाधारक द्वारा बताई गई मौजूदा चिकित्सीय स्थिति का हवाला देकर किसी दावे को खारिज नहीं कर सकता. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने यह भी कहा कि प्रस्तावक का कर्तव्य है कि वह बीमाकर्ता को दी जाने वाली जानकारी में सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा करे.  यह माना जाता है कि प्रस्तावक प्रस्तावित बीमा से संबंधित सभी तथ्यों और परिस्थितियों को जानता है. न्यायालय ने कहा कि हालांकि प्रस्तावक केवल वही प्रकट कर सकता है जो उसे ज्ञात है, लेकिन प्रस्तावक का प्रकटीकरण कर्तव्य उसके वास्तविक ज्ञान तक ही सीमित नहीं है, यह उन भौतिक तथ्यों तक भी विस्तारित है, जो कामकाज की सामान्य प्रक्रिया में उसे जानना चाहिए.

पीठ ने हाल के एक फैसले में कहा, 'एक बार बीमाधारक की चिकित्सा स्थिति का आकलन करने के बाद पॉलिसी जारी कर दी जाए तो बीमाकर्ता मौजूदा चिकित्सा स्थिति का हवाला देते हुए दावे को अस्वीकार नहीं कर सकता है, जिसे बीमाधारक ने प्रस्ताव फॉर्म में बताया था.' शीर्ष अदालत मनमोहन नंदा द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अमेरिका में हुए चिकित्सा खर्च के लिए दावा करने संबंधी उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था. नंदा ने ‘ओवरसीज मेडिक्लेम बिजनेस एंड हॉलिडे पॉलिसी' ले रखी थी क्योंकि उनका इरादा अमेरिका की यात्रा करने का था. सैन फ्रांसिस्को हवाई अड्डे पर पहुंचने पर, उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी एंजियोप्लास्टी की गई तथा हृदय वाहिकाओं में रुकावट को दूर करने के लिए तीन स्टेंट डाले गए.

'मोबाइल से चिपके रहते हैं कुछ न्यायाधीश' : वकीलों ने CJI को चिट्ठी लिख की जिला जजों की शिकायत

इसके बाद, अपीलकर्ता ने बीमाकर्ता से इलाज पर हुआ खर्च मांगा, जिसे बाद में यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि अपीलकर्ता को ‘हाइपरलिपिडिमिया' और मधुमेह था, जिसका खुलासा बीमा पॉलिसी खरीदते समय नहीं किया गया था.एनसीडीआरसी ने निष्कर्ष निकाला था कि चूंकि शिकायतकर्ता स्टेटिन दवा ले रहा था, जिसका मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदते समय खुलासा नहीं किया गया था, इस तरह वह अपने स्वास्थ्य की स्थिति का पूरा खुलासा करने के अपने कर्तव्य का पालन करने में विफल रहा.

RTE Act 2009: देशभर में सभी छात्रों के लिए समान कोर्स को लेकर SC में याचिका

शीर्ष अदालत ने कहा कि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दावे को खारिज करना अवैध है और यह कानून के अनुसार नहीं है. इसने कहा कि मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदने का उद्देश्य अचानक बीमारी या बीमारी के संबंध में क्षतिपूर्ति की मांग करना है जो अपेक्षित या आसन्न नहीं होती और जो विदेश में भी हो सकती है. पीठ ने कहा, 'अगर बीमाधारक अचानक बीमारी से ग्रस्त हो जाए, जिसे पॉलिसी के तहत स्पष्ट रूप से बाहर नहीं रखा गया है, तो अपीलकर्ता को खर्च की क्षतिपूर्ति करने का बीमाकर्ता का कर्तव्य बनता जाता है.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
BrahMos के निशाने पर Pakistan की 1-1 इंच जमीन! | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon
Topics mentioned in this article