चीनी सीमा से सटे गांवों में बुनियादी ढांचे को किया जाएगा मजबूत, इन सुविधाओं का बजट में ऐलान

सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, ''सीमावर्ती गांव विरल आबादी, सीमित संपर्क और बुनियादी ढांचे के अभाव में अकसर विकास के लाभ से वंचित रह जाते हैं. उत्तरी सीमा पर ऐसे गांवों को नए वाइब्रेंट गांव कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा.''

विज्ञापन
Read Time: 16 mins
चीन की सीमा से सटे इलाकों में गांवों में बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने बजट भाषण में चीन से लगी सीमा पर गांवों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजना की घोषणा की है. यह कदम पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध और चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब कई क्षेत्रों में गांव बसाने को लेकर सुरक्षा प्रतिष्ठानों में व्याप्त चिंताओं की पृष्ठभूमि में उठाया गया है.

सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, ''सीमावर्ती गांव विरल आबादी, सीमित संपर्क और बुनियादी ढांचे के अभाव में अकसर विकास के लाभ से वंचित रह जाते हैं. उत्तरी सीमा पर ऐसे गांवों को नए वाइब्रेंट गांव कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा.''

सीमावर्ती गांवों में होगा बुनियादी ढांचे का विकास:

उन्होंने कहा, '' इन गतिविधियों में गांव के बुनियादी ढांचे का निर्माण, आवास, पर्यटन केंद्र, सड़क संपर्क, विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा का प्रावधान, दूरदर्शन और शैक्षिक चैनलों की सीधे घर-घर तक पहुंच और आजीविका सृजन के लिए समर्थन देना शामिल होगा.''

वित्त मंत्री ने कहा कि इन गतिविधियों के लिए अतिरिक्त धन मुहैया कराया जाएगा. उन्होंने कहा, '''मौजूदा योजनाओं को एक साथ लाया जाएगा. हम उनके परिणामों को परिभाषित करेंगे और निरंतर उनकी निगरानी करेंगे.'' सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में सीमावर्ती बुनियादी ढांचे मजबूत बनाने लिये कई उपाय किये हैं.

पिछले साल अक्टूबर में, सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने पत्रकारों से कहा था सीमा पर चीनी क्षेत्र में कुछ नए गांव नजर आए है और भारत ने अपनी परिचालन रणनीति में इस पर ध्यान दिया है.

10 फीसदी बढ़ाया गया रक्षा बजट:
बजट के आवंटन में पिछले साल रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित 4.78 लाख करोड़ रुपये से मामूली वृद्धि करते हुए इस साल 5.25 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की. इसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच सैन्य साजोसामान के आयात में कटौती और घरेलू उद्योग से सैन्य उपकरणों की खरीद में वृद्धि सुनिश्चित करना है. बजट प्रावधानों के अनुसार पूंजीगत रक्षा खरीद व्यय का 68 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय उद्योगों से खरीद के लिए होगा, वहीं रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत निजी क्षेत्र के साथ सहयोग के लिए होगा.

Advertisement

वित्त मंत्री ने एक अन्य घोषणा में कहा कि निजी क्षेत्र के लिए, परीक्षण और प्रमाणन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्‍वतंत्र ‘नोडल अम्‍ब्रैला' इकाई की स्‍थापना की जाएगी. रक्षा पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये को शामिल करते हुए रक्षा बजट कुल 5,25,166 करोड़ रुपये का है और इसमें पिछले वर्ष के कुल व्यय की अपेक्षा 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पेंशन मद को छोड़कर रक्षा बजट कुल 4,05,470 करोड़ रुपये का है. कुल आवंटन 2022-23 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद का लगभग दो प्रतिशत है.

रक्षा बजट में पूंजीगत व्यय के लिए कुल 1,52,369 करोड़ रुपये रखे गए हैं जिनमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजोसामान की खरीद शामिल हैं. वर्ष 2021-22 के लिए, पूंजीगत व्यय के लिए बजटीय आवंटन 1,35,060 करोड़ रुपये था, लेकिन संशोधित अनुमान के अनुसार 1,38,850 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Leh-Ladakh में बवाल की सच्चाई | कौन भड़का रहा भीड़? | Sonam Wangchuk Protest | Breaking News