नई कोस्टल रोड, अटल सेतु और मेट्रो ट्रेन लाइनों के विस्तार के साथ मुंबई (Mumbai) में पिछले कुछ महीनों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास (Infrastructure development) में तेजी दिखाई दे रही है. हालांकि बढ़ते ट्रैफिक और धूल से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास की व्यवहारिकता पर सवाल भी उठ रहे हैं. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के कमिश्नर भूषण गगरानी कहते हैं कि, विकास केवल सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बदलाव में मददगार होगा.
गगरानी ने मुंबई प्रेस क्लब में सोमवार की शाम को 'मेकिंग मुंबई ए लिवेबल, मॉडर्न सिटी' इवेंट में यह बात कही.
उन्होंने कहा कि, इस तरह के इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों का असर असीमित है. उन्होंने मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि यह परियोजना नहीं होती तो विकास के अवसरों के मद्देनजर बड़ा नुकसान होता.
तेज विकास से प्रोजेक्टों की उम्र पर असर
हालांकि इन्फ्रास्ट्रक्चर के तेज विकास से इन परियोजनाओं की उम्र कम होने की बात भी कही जा रही है. रिटायर आईएएस अधिकारी आरसी सिन्हा ने कहा, "क्वालिटी कंट्रोल नहीं होने के कारण स्थायित्व कम हो रहा है. यदि इसमें सुधार किया जाए तो इनकी ड्यूरेबिलिटी बढ़ेगी."
नवी मुंबई को मुंबई का बोझ साझा करने के लिए एक काउंटर मैग्नेट सिटी के रूप में विकसित किया गया था. सिन्हा ने कहा कि, देश भर में बढ़ते शहरीकरण के मद्देनजर नवी मुंबई जैसे और शहरों की जरूरत है.
इकोलॉजी को ध्यान में रखकर हो इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट
मुंबई में रहने वाले आर्किटेक्ट पीके दास के मुताबिक, मौजूदा हरित आवरण एक लाइफ सेविंग इकोलॉजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर है. उन्होंने कहा, अगर हम इकोलॉजी को इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में देखें और इसे विकसित करें तो हम जलवायु परिवर्तन के कारण मरने वाले लोगों को बचा पाएंगे.
दास ने कहा कि, "मुंबई में बढ़ते तापमान ने हीट आइलैंड इफेक्ट पैदा कर दिया है, जिससे शहर की आवासीय क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ रहा है." उन्होंने कहा, इससे न केवल मुंबईकरों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर होता है.