इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) का अमानवीय चेहरा सामने आया है. नगरनिगम के कुछ कर्मचारी कुछ दिनों पहले कुछ कमजोर, असहाय, बेसहारा, बुजुर्गों को सड़क पर छोड़ते नजर आए थे. वीडियो वायरल हुआ तो कार्रवाई हुई लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या 'प्यादों' पर कार्रवाई करके 'प्यारों' को बचा लिया गया. वहीं एक बहन अपने बुजुर्ग भाई को ढूंढते हुए पुलिस और निगम दफ्तर के चक्कर लगा रही है. 60 साल के बुजुर्ग प्रदीप पंवार इंदौर की ब्रह्मबाग कॉलोनी में बहन के साथ रहते थे. कुछ दिनों पहले गायब हो गए, प्रदीप बेसहारा बुजुर्गों की गाड़ी में दिखे जिसमें नगर निगम के कर्मचारी, बेसहारा बुजुर्गों को शहर से छोड़ने आए थे. बाद में वे सबको वापस ले आए लेकिन प्रदीप लापता हैं.
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सेवानिवृत्त शिक्षक बहन अपने भाई को ढूंढने में मदद के लिये कभी नगर निगम दफ्तर जा रही हैं, कभी पुलिस स्टेशन लेकिन कोई मदद नहीं मिल पा रही. प्रदीप की बहन कहती हैं, 'सदर बाजार पुलिस स्टेशन से नगर निगम भेजा गया.. तब से ढूंढ रहे हैं...बहुत अमानवीय व्यवहार है..हमारा व्यक्ति कहीं चला गया तो वो कौन लाकर देगा.'
इधर नगर निगम ने गाड़ी में मौजूद छह दैनिक वेतनभोगियों और निलंबित उपायुक्त प्रतापसिंह सोलंकी को ही जिम्मेदार माना. लापता लोगों के संबंध में केवल इतना कहा कि कार्रवाई पुलिस करेगी. इंदौर नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल ने कहा-जांच कमेटी ने सबके बयान लिये और जांच रिपोर्ट बनाई जिसमें उपायुक्त रैन बसेरा की लापरवाही पाई गई. जब नगरनिगम कमिश्नर से लापता लोगों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'इसमें कई बातें सामने आ रही हैं, ये आपराधिक मामला है इसमें कार्रवाई पुलिस करेगी निगम का कोई रोल नहीं है.'