इंदौर के किसान ने कमरे में उगाया केसर, खेती में खर्च से लेकर कमाई सब बताया

Saffron Farming: केसर की खेती करना काफी फायदेमंद हो सकता है. भारत में केसर की बहुत मांग है, लेकिन उत्पादन न के बराबर. यही कारण है कि इसे आयात करना पड़ता है...

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
केसर की खेती कर किसान लाखों रुपये कमा सकते हैं. इंदौर के किसान ने ये करके दिखाया है.

Saffron Farming: देश में केसर का उत्पादन खासकर कश्मीर में होता है, लेकिन बर्फीली वादियों वाले इस क्षेत्र से सैकड़ों किलोमीटर दूर इंदौर के एक प्रगतिशील किसान ने ‘एयरोपॉनिक्स' पद्धति की मदद से अपने घर के कमरे में बिना मिट्टी के केसर उगाया है. किसान के घर की दूसरी मंजिल के इस कमरे में इन दिनों केसर के बैंगनी रंग के खूबसूरत फूलों की बहार है. नियंत्रित वातावरण वाले कमरे में केसर के पौधे प्लास्टिक की ट्रे में रखे गए हैं. ये ट्रे खड़ी रैक में रखी गई हैं ताकि जगह का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सके.

कैसे आया आइडिया?

केसर उत्पादक अनिल जायसवाल ने बताया, ‘‘मैं कुछ साल पहले अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने गया था. वहां पम्पोर में केसर के खेत देखकर मुझे इसके उत्पादन की प्रेरणा मिली.'' जायसवाल ने बताया कि उन्होंने अपने घर के कमरे में केसर उगाने के लिए ‘एयरोपॉनिक्स' तकनीक के उन्नत उपकरणों से तापमान, आर्द्रता, प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड का नियंत्रित वातावरण तैयार किया ताकि केसर के पौधों को कश्मीर जैसी मुफीद आबो-हवा मिल सके. उन्होंने बताया कि 320 वर्ग फुट के कमरे में केसर की खेती का बुनियादी ढांचा तैयार करने में उन्हें करीब 6.50 लाख रुपये की लागत आई.

केसर से होने वाली कमाई?

जायसवाल ने बताया कि उन्होंने केसर के एक टन बीज (बल्ब) कश्मीर के पम्पोर से मंगाए थे और इसके फूलों से वह इस मौसम में 1.50 से दो किलोग्राम केसर प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि उनकी उगाई केसर पूरी तरह जैविक है, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि घरेलू बाजार में वह अपनी उपज करीब पांच लाख रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बेच सकेंगे, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उन्हें इसके 8.50 लाख रुपये तक मिल सकेंगे.जायसवाल ने बताया, ‘‘ मैंने अपने घर के कमरे के नियंत्रित वातावरण में केसर के ये बल्ब सितंबर के पहले हफ्ते में रखे थे और अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से इन पर फूल खिलने लगे.''

Advertisement

गायत्री मंत्र सुनाते हैं

केसर की खेती में जायसवाल का पूरा परिवार उनका हाथ बंटाता है. यह परिवार केसर के पौधों को गायत्री मंत्र और पक्षियों की चहचहाहट वाला संगीत भी सुनाता है. इसके पीछे परिवार का अपना फलसफा है. जायसवाल की पत्नी कल्पना ने कहा,‘‘पेड़-पौधों में भी जान होती है. हम केसर के पौधों को संगीत सुनाते हैं ताकि बंद कमरे में रहने के बावजूद उन्हें महसूस हो कि वे प्रकृति के नजदीक हैं.'' केसर, दुनिया के सबसे महंगे मसालों में एक है और अपनी ऊंची कीमत के लिए इसे ‘‘लाल सोना'' भी कहा जाता है. इसका इस्तेमाल भोजन के साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों और दवाओं में भी किया जाता है. 

Advertisement

सौर ऊर्जा से ज्यादा फायदा

भारत में केसर की बड़ी मांग के मुकाबले इसका उत्पादन कम होता है. नतीजतन भारत को ईरान और दूसरे देशों से इसका आयात करना पड़ता है. ‘एयरोपॉनिक्स' पद्धति की कृषि के जानकार प्रवीण शर्मा ने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में इस पद्धति से बंद कमरों में केसर उगाई जा रही है, लेकिन इसे फायदे का टिकाऊ धंधा बनाने के लिए उत्पादकों को खेती की लागत कम से कम रखनी होगी. उन्होंने कहा,‘‘एयरोपॉनिक्स पद्धति से खेती करने में काफी बिजली लगती है. लिहाजा इस पद्धति से केसर उगाने वाले लोगों को अपने बिजली बिल में कटौती के लिए सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए.''

Advertisement
Featured Video Of The Day
RSS Chief Mohan Bhagwat और BJP के अलग-अलग बयानों की पीछे की Politics क्या है?