अयोध्या: धन्नीपुर में मस्जिद बनाने के लिए नहीं है पैसा, IICF को अब खाड़ी देशों से है उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को अयोध्या के धन्नीपुर में 5 एकड़ जमीन दी गई. इसके लिए इंडो इस्लामिक कल्चरण फाउंडेशन का गठन 5 साल पहले किया गया. वहां मस्जिद के साथ अस्पताल, संग्रहालय और कम्युनिटी किचन भी बनाया जाना है.

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नई दिल्ली:

अयोध्या में बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को फैसला सुनाया था. इसमें मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने की बात की गई थी. इसके बाद शासन-प्रशासन ने अयोध्या से 28 किमी दूर धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन उपलब्ध कराई थी. इसके बाद इस जगह पर मस्जिद बनाने के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरण फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के नाम से एक संस्था बनाई गई थी. इसी संस्था को धन्नीपुर में मस्जिद का निर्माण कराना है.आईआईसीएफ ने धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का नक्शा काफी समय पहले जारी किया था. आईआईसीएफ ने धन्नीपुर में मस्जिद के अलावा एक अस्पताल, एक कम्युनिटी किचन और भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को दिखाने वाला एक म्यूजियम भी बनाएगा. लेकिन जिस जमीन पर यह  सब बनना है, वहां अबतक एक ईंट भी नहीं रखी गई है.

कहां बननी है मस्जिद

अयोध्या की बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था. अयोध्या में बाबरी विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 को फैसला सुनाया था. इस फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन राम मंदिर बनाने के लिए हिंदू पक्ष को दे दी गई थी. इससे वहां राम मंदिर के निर्माण का रास्ता खुल गया था. अदालत ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का आदेश दिया था. अदालत के आदेश पर अयोध्या जिला प्रशासन ने 2020 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दी थी. बोर्ड ने मस्जिद बनाने के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से एक ट्रस्ट का गठन किया. 

धन्नीपुर में क्यों शुरू नहीं हुआ है मस्जिद का निर्माण कार्य

धन्नीपुर में मस्जिद के निर्माण देरी किस वजह से हो रही है इसे लेकर एनडीटीवी ने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन से बात की. उन्होंने बताया कि फंड में देरी की वजह से अभी धन्नीपुर में निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है.   उन्होंने बताया कि अभी हमें इतना भी पैसा नहीं मिला है कि हम वहां नक्शे पास कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर सकें. हुसैन बताते हैं कि हमने एफसीआरए (फॉरेन कान्ट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट) के लिए आवेदन कर दिया है. उन्होंने कहा कि एफसीआरए मिलने के बाद हम खाड़ी के देशों से फंड लेने की कोशिशें शुरू करेंगे. 

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धन्नीपुर में एक मस्जिद के अलावा 300 बेड का एक सुपर स्पेशियलिटि अस्पताल, एक सभी धर्म के लोगो के लिए कम्युनिटी किचन और एक संग्रहालय भी बनना है. हुसैन कहते हैं कि धन्नीपुर में अगर हमें केवल मस्जिद ही बनानी होती तो, वह बन गई होती. लेकिन हमारा फोकस वहां हास्पिटल बनाना है. वो कहते हैं कि वहां 10-15 हजार की आबादी पर 13-14 मस्जिदें पहले से हैं, ऐसे में वहां एक और मस्जिद बना देने से हमारा मकसद हल नहीं होने वाला है. हुसैन कहते हैं कि वह लोगों की दिलचस्पी अस्पताल में है. वहां के लोग अस्पताल चाहते हैं. उन्होंने कहा धन्नीपुर में केवल अस्पताल बनाने पर ही करीब 300 करोड़ रुपये का खर्च आने वाला है. उन्होंने कहा कि बाकी के काम पर भी करीब सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे. उन्होंने कहा कि इस तरह से वहां का कुल बजट करीब 400 करोड़ रुपये का है. 

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मस्जिद, अस्पताल, कम्युनिटी किचन और संग्रहालय बनाने के लिए कितना पैसा चाहिए

अब तक कितना चंदा आया है, इस सवाल के जवाब में बताया कि एक-सवा करोड़ रुपये आए थे. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने वहां पर एंबुलेंस सर्विस शुरू की थी, पांच साल से ट्रस्ट चल रहा है उस पर खर्च होता है. उन्होंने बताया कि अभी ट्रस्ट के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वो विकास शुल्क देकर नक्शा हासिल कर सके. उन्होंने कहा कि हमें जितना दान मिलने की उम्मीद थी, उतना मिला नहीं, इसलिए अभी वहां कोई काम नहीं शुरू हो सका है. 

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अगले साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मनाने की तैयारी चल रही है, वही धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू न होने के सवाल पर हुसैन कहते हैं कि राम मंदिर के साथ तुलना नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी के लिए जितनी आस्था राम मंदिर के लिए है, उतनी आस्था लोगों की इस मस्जिद के लिए नहीं है. यह कोई बहुत पवित्र जगह भी नहीं है. इसलिए दोनों की तुलना नहीं की जा सकती है. 

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