- बीजेपी सांसद ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को एयरलाइंस और होटलों के किराए नियंत्रित करने का सुझाव दिया.
- सांसद खंडेलवाल ने मैक्सिमम एक्सेप्टेबल फेयर लागू करने और किराया पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है.
- एयरलाइंस और होटलों की मुनाफाखोरी रोकने के लिए कड़ी दंडात्मक कार्रवाई का सुझाव दिया गया है.
इंडिगो संकट लगातार जारी है. इससे यात्री बहुत परेशान हैं. संकट के इस हालात में उनसे जमकर किराया वसूला जा रहा है. दिल्ली के चांदनी चौक से बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री प्रह्लाद जोशी को भेजे एक पत्र में सुझाव दिया है कि बड़े पैमाने पर परिचालन संकट की स्थिति में एयरलाइंस और होटलों द्वारा वसूले जाने वाले किरायों को नियंत्रित करने के लिए MRP की तर्ज़ पर “मैक्सिमम एक्सेप्टेबल फेयर (MAF)” की व्यवस्था देशभर में लागू की जाए.
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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को लिखी चिठ्ठी में सांसद खंडेलवाल ने केंद्र को कई सुझाव दिए हैं जिनमें ये शामिल हैं:
- एयरलाइंस और होटलों के लिए कानूनी ‘मैक्सिमम एक्सेप्टेबल फेयर (MAF)'
- ऐतिहासिक डेटा के आधार पर रूट-वार और ज़ोन-वार बेसलाइन प्राइसिंग
- संकट की अवधि में सीमित और नियंत्रित सर्ज कैप
- एयरलाइंस, बुकिंग प्लेटफॉर्म और होटलों के लिए अनिवार्य किराया-पारदर्शिता
- रद्दीकरण के कारण दोबारा टिकट लेने वालों के लिए संरक्षित किराया और मुआवजा
- संकट के दौरान मुनाफाखोरी पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई
एयरलाइंस और होटलों की मुनाफाखोरी रोकने की मांग
देशभर के एयरपोर्ट पर पिछले कुछ दिनों से जारी संकट को देखते हुए खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से मांग की है कि भारत सरकार को भविष्य में ऐसे किसी संकट के दौरान एयरलाइंस व होटलों की मुनाफाखोरी की कोशिश को रोकने के लिए सख्ती से पहल करनी चाहिए. हाल के संकट के दौरान घरेलू हवाई किराये जहां सामान्य स्तर से बढ़कर 70,000–80,000 तक पहुंच गए, वहीं दिल्ली के एयरोसिटी क्षेत्र के होटलों ने 70,000 से अधिक एक रात का वसूला. इसकी वजह से प्रभावित यात्रियों को खुलेआम संकट-आधारित लूट का शिकार होना पड़ा.
एयरलाइन टिकट और होटलों का किराया फिक्स क्यों नहीं?
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव होने के नाते खंडेलवाल ने बताया कि देशभर से बड़ी संख्या में व्यापारी, जो इंडिगो फियास्को का शिकार बने, उनसे संपर्क में आए है और इसी सुझाव को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि जब साबुन पर एमआरपी है, तो एयरलाइन टिकट और होटल कमरों पर क्यों नहीं.खंडेलवाल ने कहा कि यह संकट उपभोक्ता संरक्षण व्यवस्था की एक बड़ी खामी उजागर करता है, जहां बिस्कुट से लेकर दवाइयों तक पर एमआरपी तय है, लेकिन आवश्यक सेवाएं, जैसे हवाई यात्रा और आपातकालीन होटल ठहरावबिना किसी निगरानी के रातों-रात कई गुना महंगी हो जाती हैं. उनके मुताबिक, यह डायनमिक प्राइसिंग नहीं, बल्कि मानवीय असुरक्षा पर मुनाफाखोरी है.













