अमृत काल में भारत की प्रतिष्ठा में अभूतपूर्व वृद्धि : नए संसद भवन के उद्घाटन मौके पर ओम बिरला 

ओम बिरला ने कहा कि हमारे इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर 'सेंगोल' को अध्यक्ष पीठ के पास स्थापित कर प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक परंपराओं के सम्मान और न्यायसंगत एवं निष्पक्ष शासन के अपने संकल्प को दोहराया है. 

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ओम बिरला ने कहा कि इस अनमोल धरोहर को संभाल कर रखना सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी है. 
नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया. इस मौके पर लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला ने भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि अमृत काल में भारत की प्रतिष्ठा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. उन्‍होंने कहा कि आज पूरी दुनिया लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रसार के साथ-साथ वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है. उन्‍होंने कहा कि भारत की संसद लोकतांत्रिक व्यवस्था का सर्वोच्च श्रद्धा केंद्र है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में लोगों की बढ़ती भागीदारी इस सच्चाई को रेखांकित करती है. 

उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र न केवल हमारे इतिहास की बहुमूल्य धरोहर है बल्कि वर्तमान की ताकत और हमारे सुनहरे भविष्य का आधार है. उन्‍होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारी संसद  घरेलू और वैश्विक चुनौतियों को अवसर में बदलने का सामर्थ्य रखती है. 

उन्‍होंने संसद को प्राचीन राष्ट्र की गौरवपूर्ण लोकतांत्रिक विरासत की संरक्षक बताया. साथ ही कहा कि वर्तमान संसद भवन आजादी से लेकर संविधान निर्माण और अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है. उन्होंने कहा कि इसलिए अपनी इस अनमोल धरोहर को संभाल कर रखना सभी सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी है. 

सेंगोल का उल्‍लेख 
प्रधानमंत्री द्वारा 'सेंगोल' की स्थापना का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि हमारे इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर 'सेंगोल' को अध्यक्ष पीठ के पास स्थापित कर प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक परंपराओं के सम्मान और न्यायसंगत एवं निष्पक्ष शासन के अपने संकल्प को दोहराया है. 

प्राचीन विरासत और आधुनिक आकांक्षाओं का संगम
बिरला ने कहा कि नया भवन भारत की समृद्ध संस्कृति, प्राचीन विरासत और आधुनिक आकांक्षाओं का एक अद्भुत संगम है. इसमें पूरे भारत की उत्कृष्ट और विविध सांस्कृतिक विरासत के दर्शन होते है. उन्‍होंने आग्रह किया कि नए संसद भवन में सांसद संसदीय अनुशासन, मर्यादा और गरिमा के नए मानदंड स्थापित करें और दुनिया की लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए आदर्श बनें. सदन के हर सदस्य को समाज के अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाकर देश को आगे ले जाना चाहिए. 
 

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