पैरिस ओलिंपिक में सुरक्षा देने पहुंची भारत की 'K-9 स्क्वॉड', जानें ये है क्या

पुलिस डॉग जिसे K-9 या K9 (कैनाइन का एक होमोफोन) के रूप में भी जाना जाता है, एक डॉग है जिसे विशेष रूप से कानून प्रवर्तन के सदस्यों की सहायता के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.

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नई दिल्ली:

भारत का इलाइट डॉग स्क्वायड, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की K9 टीमें 26 जुलाई से शुरू होने वाले पेरिस ओलंपिक के अलग-अलग वेन्यू पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. पेरिस में ओलंपिक के चलते कुल 10 के9 टीम को सुरक्षा के लिए चुना गया है और इनमें से दो टीम भारत की हैं. यह पहली बार है कि भारत की K9 टीम देश से बाह सुरक्षा प्रदान करेगी लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये K9 स्क्वायड क्या है? अगर नहीं तो हम यहां आपको K9 स्क्वायड के बारे में सब चीजें बताने वाले हैं. 

क्या है K9 स्क्वायड 

पुलिस डॉग जिसे K-9 या K9 (कैनाइन का एक होमोफोन) के रूप में भी जाना जाता है, एक डॉग है जिसे विशेष रूप से कानून प्रवर्तन के सदस्यों की सहायता के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. मध्य युग से ही कुत्तों का इस्तेमाल कानून प्रवर्तन में किया जाता रहा है. सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली नस्लें जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन मालिनोइस हैं, लेकिन कई अन्य नस्लों में कुछ अनूठी प्रतिभाएं हैं. उदाहरण के लिए, बैसेट हाउंड, ब्लडहाउंड और लैब्राडोर रिट्रीवर्स अपने ट्रैकिंग, ट्रेलिंग और डिटेक्शन स्किल्स के लिए जाने जाते हैं. 

कैसे किया जाता है डॉग का चुनाव

पुलिस विभाग के अनुसार कुत्तों को पहले बुनियादी आज्ञाकारिता टेस्ट से गुजरना पड़ता है. डॉग की स्किल्स को पोलिश किया जाता है और K9 डॉग को अपने हैंडलर के हर आदेश को मानना आना चाहिए तभी वो एक अच्छा K9 बन सकता है. 

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ये है भारत का पहला डॉग स्क्वायड 

भारत का पहला डॉग स्क्वायड जंगलों में होने वाले अपराध को रोकने के लिए स्थापित किया गया था. इसकी स्थापना असम में 2011 में जैव विविधता संगठन 'आरण्यक' के तहत की गई थी. डॉग स्क्वायड K9 में छह बेल्जियन मालिनोइस कुत्ते शामिल हैं, जिन्होंने अपने संचालकों के साथ मिलकर काजीरंगा और मानस राष्ट्रीय उद्यानों और असम के अन्य गैंडे-आबादी वाले क्षेत्रों में पुलिस और वन अधिकारियों की मदद की है

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जोरबा था K9 स्क्वायड का सबसे पहला डॉग

ज़ोरबा, एक नर बेल्जियन मालिनोइस, भारत के K9 स्क्वायड का सबसे पहला डॉग था. 2011 में असम में शिकारियों को पकड़ने के लिए सबसे पहले जिस स्क्वायड की स्थापना की गई थी, उसमें जोरबा पहला सदस्य था. उसने 8 साल तक इस स्क्वायड में काम जिसमें उसने 60 शिकारियों को पकड़ने में कानून प्रवर्तन अधिकारियों की मदद की थी. इसके बाद 2019 में वह रिटायर हो गया था. इसके बाद 2022 में उसकी मौत हो गई थी. 

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पेरिस में हो रहे ओलंपिक में भारत के ये K9 डॉग हुए शामिल

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बेल्जियम शेफर्ड मालिनोइस, जिनकी उम्र क्रमशः 5 और 3 वर्ष है, K9 वास्ट और डेनबी को सीआरपीएफ के डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग स्कूल में आयोजित कई कड़े परीक्षणों से गुजरने के बाद इस काम के लिए चुना गया. बता दें कि यह पहली बार है जब भारतीय डॉग स्क्वायड को देश के बाहर सुरक्षा प्रदान करने के लिए चुना गया है. 

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