दिल्ली में हाल ही में हुई ब्लास्ट की घटना ने पूरे देश को हिला दिया.वहीं इस ब्लास्ट पर भारत के हिंदू-मुस्लिम सिखों ने आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया. एनडीटीवी संवाददाता अली अब्बास नकवी पंजाब के समाना में मशहद-ए-हिन्द दरगाह पर गए जहां मुस्लिमों के साथ हिन्दू और सिख धर्म के लोग भी एकता का पैगाम देते थे.यहां सबने क्या-क्या कहा सुनकर पाकिस्तान को भी मिर्ची लग जाएगी.
दिल्ली ब्लास्ट करने वालों पर लानत- मौलाना क़लबे रुशैद रिज़वी
मौलाना कल्बे रुशैद रिज़वी ने कहा हम उन सब पर लानत भेजते हैं, जिन लोगों ने दिल्ली में ब्लास्ट किया साथ ही उन पर भी लानत, जिन लोगों ने उन्हें फंड दिया, उन पर भी लानत, जिन लोगों ने उन्हें सिखाया, जहां से वो पढ़कर आए हैं उन सब पर भी लानत है. मज़लूम का खून बहाना, सुकून के शहर में बम बरसाना ये सब कौन-सा इस्लाम है, उन्होंने कहा कि इस्लाम दो दरवाज़ों से लिया है, एक यजीद का इस्लाम था और दूसरा इमाम हुसैन का. यजीद बेकसूर लोगों को मारता था, ज़ुल्म करता था, वहीं इमाम हुसैन इंसानियत के रास्ते पर चलते थे और ज़ुल्म के खिलाफ खुद 72 साथियों के साथ शहीद हो गए. अब किसी भी मुसलमान से पूछ लीजिए जो इमाम हुसैन को चाहेगा वो आतंकवादियों के खिलाफ रहेगा और जो यजीद को चाहेगा वो दिल्ली ब्लास्ट के आरोपियों के साथ रहेगा.
आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता: हिंदू, सिख प्रदर्शनकारी
आतंकवाद मुर्दाबाद,
हिंदुस्तान जिंदाबाद
जी हां, ये नारे सभी धर्म के लोगों ने एक साथ मिलकर लगाए, जिसमें उन्होंने आतंकवाद और आतंकवादियों को जमकर सुनाया.साथ ही दहशतगर्दों को बता दिया कि तुमने जो अटैक किया है, उससे भारत कमजोर नहीं होगा और न ही अशांति आएगी, क्योंकि हिंदुस्तान में सभी धर्म एक साथ आतंकवाद के खिलाफ खड़े हैं.वहीं सिख समुदाय के शख्स ने कहा कि उन आतंकवादियों की कोई जाति धर्म नहीं होता है, क्योंकि हर धर्म में सच्चाई पर चलना सिखाया जाता है, न कि किसी को मार कर..वहीं हिन्दू शख्स ने कहा कि जो ईमान के मुसलमान होते हैं वो अच्छे हैं, जो ईमान से दूर हो जाते हैं वो भटक जाते हैं और वहीं आतंक के रास्ते पर चले जाते हैं , उन्होंने कहा कि हमारे पंजाब समाना में ये पंज पीर दरगाह(मशहद ए हिंद) है जहां सभी मुस्लिम जो आते हैं वो नेक और इंसानियत वाले होते हैं..उनकी सेवा हम हमेशा करते हैं और कभी भी हमें उन्हें देखकर नहीं लगता कि वो अलग धर्म के लोग है, एक भाई चारा लगता है.
हर धर्म के लोग न्याय को पसंद करते हैं
तो वहीं मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना ज़मीर जाफरी ने कहा कि हर धर्म न्याय को पसंद करता है, क़ुरान में है कि अगर तुमने एक बेकसूर इंसान को मारा तो ऐसा है कि तुमने तमाम इंसानों को मार दिया, वहीं एक इंसान को बचाया तो ऐसा है कि तुमने सारी इंसानियत को बचा लिया. हमारे साथ जितने भी लोग यहां मौजूद है वो इमाम हुसैन की शिक्षा को याद करे हुए हैं, जिसमें इमाम हुसैन ने दुश्मन जब प्यासा था तो उसको भी पानी पिलाया और इंसानियत का पैग़ाम दिया. आतंकवाद किसी भी धर्म में हो उसके खिलाफ हमेशा खड़ा रहना चाहिए, जिससे उन ज़ालिमों के हौसलें कभी आगे ना बढ़ें.
आतंकवादियों का इस्लाम से ताल्लुक नहीं
वहीं एक दूसरे मुस्लिम गुरु ने कहा कि ये वो मुसलमान है जो 1400 साल पहले इमाम हुसैन के ख़िलाफ़ जंग लड़ रहे थे. पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को यज़ीद की फौज ने ही तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया गया था. ये जो आतंकवादी आज मज़लूम लोगों को मार रहे हैं ये वही यज़ीद की नस्ल से हैं, जो दूसरे बेकसूर लोगों पर ज़ुल्म करते हैं, इनका ना कल इस्लाम से कोई ताल्लुक था ना आज है.आज तक दुनिया जानती है कि यज़ीद आतंकवाद फैलाने वाला था.
अपने वतन से मोहब्बत करना सच्चा ईमान है
मशहद-ए-हिन्द दरगाह के चेयरमैन ज़ैग़म अब्बास कहते हैं की हर साल हम आतंकवाद के खिलाफ दो दिन का प्रोग्राम(मजलिस) यहीं इस पंज पीर दरगाह (मशहद इमाम अली )पर करते हैं , जहां देशभर से लोग यहां आते हैं और हम हज़रत पैग़म्बर मोहम्मद साहब की नस्लों पर किस तरह से आतंकवादी हमले हुए कितने ज़ुल्म हुए किस तरह से उन सबको शहीद किया गया वो हम सब बताते हैं, जिसमें मुस्लिम ही नहीं सिख हिंदू भाई भी इमाम हुसैन और उनके परिवार पर किस तरह से आतंकियों ने ज़ुल्म किए वो सब बयान सुनने आते हैं. सैयद अली हैदर बताते हैं कि आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ना नहीं चाहिए, हमारे पैगंबर ने कहीं नहीं कहा कि मज़लूम को परेशान करो, ना किसी को मारो.. हमारे इस्लाम में पड़ोसी तक का ख्याल रखा जाता है और हमने उनसे ये सीखा है की अपने वतन से मोहब्बत करो, अपने वतन से मोहब्बत करना सच्चा ईमान है, जो अपने वतन से मोहब्बत ना कर सका वो इस्लाम का मानने वाला नहीं है.
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की अपील
दरगाह में पूर्व सचिव जौन हैदर ने सभी समुदायों से अपील करी कि सब मिलकर आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाएं और देश की एकता को मजबूत करें. यह आवश्यक है कि हम अलगाव और नफरत के बजाय प्रेम और भाईचारे का दीप जलाएं जिससे हमारे भारत की एकता को कोई तोड़ ना सके और आतंकवादियों के मंसूबे कामयाब ना हो सके.














