ब्रिटिश सांसद क्लॉडिया वेब की ओर से किसान आंदोलन को समर्थन दिए जाने के बाद लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने उनके नाम एक ओपन लेटर लिखा है. इस लेटर में कहा है कि लीसेस्टर ईस्ट की सांसद क्लॉडिया वेब, जिस समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं, उसकी किसी भी आशंका को लेकर वो बातचीत कर सकती हैं. उच्चायोग ने कहा कि 'हम भारत के कृषि सुधार कानूनों, जिनके खिलाफ भारत में कृषि समुदाय का एक हिस्सा आंदोलन कर रहे हैं, उससे जुड़े आपके संसदीय क्षेत्र में फैली चिंताओं को दूर करने के लिए विस्तार में जानकारी और स्पष्टीकरण दे पाते.'
बता दें कि क्लॉडिया वेब ने #StandWithFarmers #FarmersProtest हैशटैग्स के साथ ट्विटर पर ट्वीट करते हुए आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन दिया था. उन्होंने किसान आंदोलन से जुड़े 'टूलकिट केस' में गिरफ्तार 22 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि और किसान आंदोलन के तहत दूसरे मामलों में गिरफ्तार 24 साल की नवदीप कौर के प्रति भी अपना समर्थन बढ़ाया था. उन्होंने उनकी गिरफ्तारी को अधिनायकवादी सत्ता और फ्री-मार्केट आधारित पूंजीवाद के तहत हो रहा दमन बताया था और लोगों से चुप न रहने की अपील की थी.
इसपर उच्चायोग ने एक ओपन लेटर लिखा है. इसमें जोर दिया गया है कि ये कृषि सुधार कानून भारतीय किसानों को सुरक्षित और सशक्त करने के लिए लाए गए हैं और इनको लेकर कई समितियों के साथ चर्चा-विश्लेषण की गई है, जिनमें पिछले 20 सालों में भारतीय कृषि क्षेत्र में आ रही समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया है.
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उच्चायोग ने आगे कहा है कि 'कृषि कानूनों पर भारतीय संसद में बहस हुई थी और उनके आते ही लाखों किसानों को तुरंत लाभ मिलने लगा है. कानूनों के बनाए जाने के बाद से इसके कार्यान्वयन को लेकर किसानों और स्टेकहोल्डर्स से बातचीत की गई है.' लेटर में कहा गया है कि सरकार ने विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ 11 चरणों की बातचीत की है. हालांकि, सरकार ने कानूनों को टालने या फिर संशोधन करने के विकल्प भी दिए हैं, लेकिन संगठनों ने इन्हें नकार दिया है.
लेटर में यह भी कहा है कि यह जानकारियां वेब को इसलिए दी जा रही हैं ताकि कानूनों के उद्देश्य, आंदोलन करने वालों के अधिकार और किसान संगठनों के मनमर्जी तरीके से उनकी बात सुनने की सरकार की इच्छा को लेकर फैले भ्रम को दूर किया जा सके. उच्चायोग ने आगे यह भी कहा है कि भारत सरकार की कोशिशें जारी हैं, लेकिन उसे इस बात की भी जानकारी है कि बाहर से कुछ निहित स्वार्थ के तहत इस आंदोलन में भ्रामक जानकारियां फैलाने की कोशिशें की जा रही हैं, जोकि समस्या का समाधान निकालने के लिए किसान संगठनों और सरकार की कोशिशों में बिल्कुल भी सहायक नहीं हैं.
उच्चायोग ने यह भी कहा है कि आंदोलन में शामिल किसानों के साथ सरकार और सुरक्षा बल दोनों ही बहुत ही सम्मान के साथ पेश आए हैं, जैसाकि दुनिया में शायद ही कहीं और देखने को मिलता.