'अधिकारियों से कॉर्डिनेट किए बिना सीमा पर न जाएं', यूक्रेन में फंसे भारतीयों को भारतीय दूतावास की सलाह

एडवायजरी में कहा गया है कि यूक्रेन के पश्चिमी शहरों में खाने पीने की चीज़ों के साथ जहां है वहां बने रहना ही बेहतर है बजाय इसके कि बिना समन्वय के सीमा पर पहुंच कर कठिनाई उठाएं. एडवायजरी में कहा गया है कि पूर्वी शहर (जैसे खारकीव) में जो भारतीय ख़ास तौर पर जो छात्र हैं, वे अगले निर्देश तक घरों के अंदर ही रहें या जहां पनाह लिए हैं, वहीं रहें.

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यूक्रेन भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए एक आकर्षक प्वाइंट रहा है.

नई दिल्ली:

यूक्रेन (Ukraine) में भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों (Indian Citizens) से उसके अधिकारियों के साथ पूर्व समन्वय के बिना सीमा चौकियों पर नहीं जाने को कहा है. यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने एक और एडवायज़री जारी करते हुए कहा है कि जैसा कि रूस पूर्व सोवियत गणराज्य पर चौतरफा आक्रमण कर रहा है, और इस हमले में हजारों भारतीय फंसे हुए हैं और बेताब तरीके से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं, इसलिए सीमा पर तैनात भारतीय अधिकारियों से समन्वय के बिना सीमा की तरफ़ न निकलें.

एडवायजरी में कहा गया है कि यूक्रेन के पश्चिमी शहरों में खाने पीने की चीज़ों के साथ जहां है वहां बने रहना ही बेहतर है बजाय इसके कि बिना समन्वय के सीमा पर पहुंच कर कठिनाई उठाएं. एडवायजरी में कहा गया है कि पूर्वी शहर (जैसे खारकीव) में जो भारतीय ख़ास तौर पर जो छात्र हैं, वे अगले निर्देश तक घरों के अंदर ही रहें या जहां पनाह लिए हैं, वहीं रहें.

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यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने आज सुबह ट्वीट किया, "विभिन्न सीमा चौकियों पर स्थिति संवेदनशील है और दूतावास हमारे पड़ोसी देशों में हमारे दूतावासों के साथ मिलकर हमारे नागरिकों को निकालने के लिए काम कर रहा है."

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दूतावास ने कहा कि बिना किसी पूर्व सूचना के सीमा चौकियों तक पहुंचने वाले भारतीय नागरिकों की मदद करना "अधिक कठिन" हो रहा है. यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने कहा, भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए पड़ोसी देशों में स्थित भारतीय दूतावासों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

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यह एडवाइजरी उन खबरों के बीच आई है, जिनमें भारतीयों द्वारा लंबी दूरी तय करके यूक्रेन की सीमा पार कर पड़ोसी देशों में जाने की कोशिश की जा रही है, ताकि वहां से उन्हें सुरक्षित निकाला जा सके.

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यूक्रेन भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए एक आकर्षक प्वाइंट रहा है क्योंकि वहां मेडिकल शिक्षा की लागत भारत की तुलना में काफी कम है. मौजूदा संकट में वहां कथित तौर पर छात्र आवश्यक संसाधनों के बिना  बेसमेंट में छिपे हुए हैं. वहां देश के अधिकांश हिस्सों में बाजार भी बंद हैं.

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