रक्षा मंत्रालय ने देश की रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में बड़े बदलावों की घोषणा करते हुए सोमवार को कहा कि आधुनिकीकरण अभियान के तहत सैन्य बलों को सैन्य उपकरण घरेलू उद्योगों से लेने होंगे और ऐसे उपकरणों का आयात अपवाद परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए. मंत्रालय ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से और भारतीय रक्षा उद्योग पर वित्तीय भार को कम करने के लिए ‘एकीकृत समझौता बैंक गारंटी' (आईपीबीजी) की आवश्यकता को खत्म करने का भी फैसला लिया.
मंत्रालय ने कहा कि बोली सुरक्षा के रूप में बयाना राशि (ईएमडी) भी 100 करोड़ रुपये से अधिक के अधिग्रहण मामलों के लिए ली जाएगी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘आगे जाकर रक्षा सेवाओं और भारतीय तटरक्षक के लिए सभी प्रकार की खरीद, आधुनिकीकरण की सभी आवश्यकताएं घरेलू स्तर पर पूरी की जाएंगी.'' रक्षा उपकरणों का आयात और पूंजीगत अधिग्रहण के तहत उन्हें विदेशी उद्योगों से लेना सिर्फ अपवाद परिस्थिति में होगा और इसके लिए रक्षा मंत्री या रक्षा अधिग्रहण परिषद की विशेष तौर पर मंजूरी लेनी होगी.''
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रक्षा मंत्रालय ने आईडीईएक्स रूपरेखा के तहत परियोजनाओं के लिए प्रतीक्षा समय कम करने का भी फैसला किया. आईडीईएक्स कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में हुई थी जो रक्षा मंत्रालय में नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए नवोन्मेषकों और उद्यमियों को जोड़ने से संबंधित है.
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