भारतीय सेना NDTV इंडियन ऑफ द ईयर 2025, जांबाजों ने बताई ऑपरेशन सिंदूर की अनसुनी कहानी

किसी भारतीय न्यूज टीवी चैनल के इतिहास में यह पहला मौका था, जब किसी एक ऑपरेशन (ऑपरेशन सिंदूर) के लिए वीर चक्र प्राप्त इतने सैन्य अधिकारी एकसाथ किसी मंच पर इकट्ठा हुए.

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  • भारतीय सेना बनी NDTV इंडियन ऑफ द ईयर 2025, TV की दुनिया में पहली बार रचा गया अनोखा इतिहास
  • ऑपरेशन सिंदूर के वीर चक्र विजेताओं ने NDTV के मंच पर आकर अपने-अपने अनुभव साझा किए
  • कर्नल बिष्ट ने बताई 22 मिनट की कहानी तो कर्नल कोशांक ने बताया, मिशन से पहले की चुप्पी कैसे बन गई आंधी
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NDTV इंडियन ऑफ द ईयर 2025 सम्मान बेहद खास रहा. ये प्रतिष्ठित सम्मान इस बार भारतीय सेना (भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना) को प्रदान किया गया. किसी भारतीय न्यूज टीवी चैनल के इतिहास में यह पहला मौका था, जब किसी एक ऑपरेशन (ऑपरेशन सिंदूर) के लिए वीर चक्र प्राप्त इतने सैन्य अधिकारी एकसाथ किसी मंच पर इकट्ठा हुए. इस दौरान सैन्य अधिकारियों ने बताया कि जब ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च हुआ था तो क्या हुआ था. 

ऑपरेशन सिंदूर के ये वीर चक्र विजेता एक मंच पर 

इस मौके पर भारतीय सेना के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के चीफ एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित के अलावा ऑपरेशन सिंदूर के वीर चक्र विजेता कर्नल कोशांक लांबा, ले.कर्नल सुशील बिष्ट, नायब सूबेदार सतीश कुमार, ग्रुप कैप्टन मनीष अरोड़ा, ग्रुप कैप्टन कुणाल कालरा, विंग कमांडर जॉय चंद्र और नेवी कमांडर सौरभ कुमार उपस्थित थे. 

कर्नल कोशांक ने बताया, चुप्पी कैसे बन गई आंधी

कर्नल कोशांक लांबा ने ऑपरेशन सिंदूर का अपना अनुभव बताते हुए कहा कि वैसे तो इस मिशन का हर पल मेरे जेहन में एक याद की तरह बसा है. लेकिन जो पल सबसे ज्यादा रोमांचित करता है, वो ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च होने से ठीक पहले का था. ऑपरेशन सिंदूर शुरु होने से ठीक पहले हर तरफ चुप्पी थी, सन्नाटा था, मन में उथल-पुथल थी. लेकिन जब मैंने जवानों को देखा तो उनमें बहुत जोश, कॉन्फिडेंस और फायर नजर आया, और कुछ ही पलों के बाद इसी फायर से हमने दुश्मन को मिट्टी में मिला दिया. जो पहले सन्नाटा था, वह आंधी बन गई थी. 

कर्नल बिष्ट ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की हमने गहन प्लानिंग की थी. हमने लेटेस्ट टेक्नोलोजी इस्तेमाल की. सैटलाइट इमेजों के जरिए हमने टारगेट एरिया का डिटेल्ड एनालिसिस किया था. उसी का नतीजा था कि 6-7 मई की रात उस 22 मिनट के दौरान हमारी पूरी टीम एकसाथ मिलकर काम कर रही थी. इसी का नतीजा था हमने इस ऑपरेशन को बहुत ही अच्छे से अंजाम दिया. 

नायब सूबेदार ने बताया, कैसे बर्बाद किए लैंडमाइंस

वीर चक्र विजेता नायब सूबेदार सतीश कुमार ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती उस वक्त आई, जब दुश्मन के इलाके से दो तरफ से हमारे ऊपर फायर किया गया, क्योंकि एक पोजीशन से दो टारगेट को एंगेज करना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन मैंने दोनों टारगेट पर 2-2 मोर्टार लगाकर उन्हें बर्बाद कर दिया. मैंने 300-400 मीटर के इलाके में आग लगा दी, जिससे 30-35 लैंडमाइंस ब्लास्ट हुए. 

26 परिवारों के आंसुओं का बदला लियाः ग्रुप कैप्टन अरोड़ा

ग्रुप कैप्टन अरोड़ा ने अपना सबसे यादगार पल बताते हुए कहा कि ऑपरेशन से पहले जब मैं ब्रीफिंग रूम में गया तो वहां माहौल अलग था, अलग तरह की शांति थी. जब हमने आंखों ही आंखों में एकदूसरे को देखा तो एक ही बात दिखी कि हमें 26 परिवारों के आंसुओं का बदला लेना है, जिन्होंने अपने निर्दोष परिजन खोए थे. हमें अपनी इन्हीं भावनाओं को बारूद बनाकर दुश्मन पर टूट पड़ना था, और हमने बिल्कुल सटीक तरीके से इस काम को पूरा किया. 

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हथियारों में देश की उम्मीदों का बारूदः ग्रुप कैप्टन कालरा

वायुसेना के ग्रुप कैप्टन कालरा ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मेरा सबसे प्राउड मोमेंट उस वक्त आया, जब मेरे एयरक्राफ्ट से वेपंस निकलकर टारगेट की तरफ बढ़ रहे थे. उस वक्त हालात बहुत मुश्किल थे, लेकिन मेरे मन में अजीब सी शांति थी. वैसे तो हमें इसी काम के लिए ट्रेंड किया जाता है, लेकिन उस वक्त वो हथियारों देश की उम्मीदों से भरे हुए थे और उन्होंने अपना काम कर दिखाया. उस वक्त के हालात को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. 

शादी की 10वीं सालगिरह का अनोखा संयोग

विंग कमांडर जॉय चंद्रा ने बताया कि हम हर उड़ान को पूरी तैयारी और पैशन के साथ उड़ाते हैं, और जब वह उड़ान सफल होती है तो गर्व होता है. ऑपरेशन सिंदूर की उड़ान के सफल होने पर कहीं ज्यादा गर्व हुआ था. नेवी कमांडर सौरभ कुमार ने बताया कि स्क्वॉड्रन को जब हमें मिशन के बारे में बताया गया और जिस तरह का जोश मैंने अपनी टीम में देखा, वो सबसे यादगार पल था. जिस दिन ये मिशन हमें मिला, उस दिन मेरी शादी की 10वीं सालगिरह थी. वो पल हमेशा के लिए मेरे जेहन में बस गया है. 

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