भारत ने अमेरिका के एरिक गरसेटी को राजदूत नामित करने के फैसले का स्वागत किया

विदेश मंत्रालय ने कहा - अमेरिका के राजदूत एरिक गरसेटी का भारत में कथित मानवाधिकार हनन संबंधी कोई बयान हाल में नहीं आया

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस से बातचीत की.
नई दिल्ली:

भारतीय विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि, भारत में अमेरिका के राजदूत (डेजिगनेट) एरिक गरसेटी के भारत में कथित मानवाधिकार हनन संबंधी कोई हाल का बयान नहीं देखा है. हम उनको राजदूत नियुक्त किए जाने का स्वागत करते हैं. भारत ने एरिक गरसेटी के नई दिल्ली में अमेरिका के राजदूत के रूप में नामांकन की पुष्टि का स्वागत करते हुए कहा कि वह अपने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने के लिए उनके साथ काम करने को आशान्वित है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के करीबी एरिक गरसेटी भारत में अमेरिका के राजदूत होंगे. सीनेट ने उनके नामांकन की पुष्टि करते हुए करीब दो साल से खाली पड़े प्रमुख राजनयिक पद को भरने की राह साफ कर दी.

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘भारत में अमेरिका के राजदूत के रूप में एरिक गरसेटी के नामांकन की पुष्टि का हम स्वागत करते हैं. हम अपने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को आगे ले जाने के लिए उनके साथ काम करने को आशान्वित हैं.''

अमेरिकी सीनेट ने 42 के मुकाबले 52 मतों से एरिक गरसेटी के नामांकन की पुष्टि की. तीन डेमोक्रेटिक सदस्यों ने गरसेटी का समर्थन नहीं किया. हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी के सात सदस्यों ने उनका साथ दिया, जिससे उनके नामांकन की पुष्टि संभव हो पाई. सीनेट की विदेशी संबंधों से जुड़े मामलों की समिति ने पिछले सप्ताह गरसेटी के नामांकन को आठ के मुकाबले 13 मतों से मंजूरी दी थी.

52 वर्षीय गरसेटी लॉस एंजिलिस के पूर्व मेयर हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सबसे पहले उन्हें जुलाई 2021 में भारत में अमेरिकी राजदूत के पद के लिए नामित किया था. हालांकि, राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन के कार्यकाल के शुरुआती दो वर्ष में गरसेटी के नामांकन को इसलिए मंजूरी नहीं मिल सकी, क्योंकि कुछ सांसदों ने उनकी नियुक्ति का विरोध किया था.

भारत में अमेरिका के पिछले राजदूत केनेथ जस्टर ने जनवरी 2021 में अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया था.

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तालिबान राजनयिकों को ऑनलाइन ट्रेनिंग के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि, ये ITEC का ऑनलाइन कोर्स है जिसमें बहुत से अफ़ग़ानी हिस्सा लेते रहे हैं. हमने कोई नोट वर्वल नहीं दिया क्योंकि ये सरकारों के बीच होता है. हमारी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.

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