दिल्ली-एनसीआर समेत लगभग पूरे उत्तर और पूर्वी भारत के कई हिस्से इस वक्त भीषण गर्मी की चपेट में है. धूप इतनी कड़ी है कि लोगों का घरों से निकलना तक मुहाल हो गया है. वहीं ऊपर से चल रही लू के गर्म थपेड़ों ने लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी है. अब तो आलम ये है कि कूलर और पंखे भी काम नहीं आ रहे, लोगों के बदन से पसीन सूख ही नहीं रहा. इस सीजन में तो रात भी इतनी गर्म हो रही है कि पिछले कई सालों के रिकॉर्ड टूट जा रहे हैं. अब हर कोई इसी इंतजार में है कि जल्द बारिश हो और लोगों को गर्मी के सितम से राहत मिले.
गर्मी से कब मिलेगी राहत
मौसम विभाग के मुताबिक अब जल्द ही भीषण गर्मी से राहत मिल सकती है. दक्षिण-पश्चिम मानसून विदर्भ, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है. जिसके असर से जल्द ही मौसम में तब्दीली आएगी. अगले 3-4 दिनों के दौरान उत्तरी अरब सागर, गुजरात राज्य, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, गंगा के मैदानी पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल के शेष हिस्सों, झारखंड के कुछ हिस्सों, बिहार के कुछ और हिस्सों और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बताई गई हैं.
दिल्ली में कब होगी बारिश
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दिल्ली-एनसीआर में 20 और 21 जून (गुरुवार और शुक्रवार) को हल्की बारिश होने की संभावना जताई है. इस दौरान हवाओं की रफ्तार 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा रह सकती है. पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के आसपास मानसून रुका है. ऐसे में जल्द ही बिहार की सीमा में मानसून प्रवेश करेगा. बिहार के कई जिलों में 20 जून (गुरुवार) तक बारिश होने की संभावना जताई जा रही है.
मध्य प्रदेश के कई जिलों में होगी बारिश
मध्य प्रदेश के शिवपुरी, ग्वालियर, सतना और छतरपुर में समेत कई इलाकों पारा 45 डिग्री के पार पहुंच रहा है. अब यहां के लोग भी बारिश की बाट जोह रहे हैं. अगले 24 घंटों में राज्य के कई जिलों में झमाझम बारिश होगी. सोमवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हल्की बारिश हुई. वहीं, राज्य के कई जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है.
बारिश में देरी की क्या वजह
भारत में एक जून से मानसून अवधि की शुरुआत के बाद से 20 प्रतिशत कम बारिश हुई है और पूरे महीने भी कुल वर्षा औसत से कम होगी. सामान्य से दो दिन पहले मुख्य भूमि पर पहुंचने और कई अन्य राज्यों में तेजी से आगे बढ़ने के बाद, 12 से 18 जून के बीच मानसून में कोई खास प्रगति नहीं हुई जिससे उत्तर भारत में बारिश के लिए प्रतीक्षा अवधि बढ़ गई. उत्तर भारत का एक बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी से जूझ रहा है.
इन जगहों पर बारिश का अनुमान
मौसम विभाग ने बताया कि अगले तीन से चार दिन में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों, उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मानसून आने की स्थिति बन रही हैं. मौसम विभाग के अनुसार भारत में एक से 18 जून के बीच 64.5 मिमी बारिश हुई, जो इस दौरान 80.6 मिमी के औसत (एलपीए) से 20 प्रतिशत कम है.
जून में बारिश औसत से 20 प्रतिशत कम
एक जून से अब तक उत्तर-पश्चिम भारत में 10.2 मिमी बारिश (सामान्य से 70 प्रतिशत कम), मध्य भारत में 50.5 मिमी (सामान्य से 31 प्रतिशत कम), दक्षिण प्रायद्वीप में 106.6 मिमी (सामान्य से 16 प्रतिशत अधिक) तथा पूर्व एवं उत्तर-पूर्व भारत में 146.7 मिमी (सामान्य से 15 प्रतिशत कम) बारिश हुई. दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में पहुंच गया था. इसके बाद 26 मई को चक्रवात रेमल के साथ ही मानसून दक्षिण के अधिकांश हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य तक पहुंचा था.
देश के किस हिस्से में कब पहुंचा मानसून
केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से क्रमशः दो और छह दिन पहले 30 मई को मानसून ने दस्तक दे दी थी. केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सभी हिस्सों, दक्षिणी महाराष्ट्र के अधिकतर क्षेत्रों, दक्षिणी छत्तीसगढ़, दक्षिणी ओडिशा के कुछ भागों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के अधिकतर हिस्सों, सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों में 12 जून तक मानसून दस्तक दे चुका था.
मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, देश भर में जून में औसत बारिश सामान्य से कम होने का अनुमान है. दक्षिणी प्रायद्वीप के अधिकांश क्षेत्रों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान है, वहीं उत्तर-पश्चिम और उससे लगे मध्य भारत के कई क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है. भारत में कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है और 52 प्रतिशत खेती योग्य क्षेत्र इस पर निर्भर है. यह पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों में पानी के भंडारण भी महत्वपूर्ण है.
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, पिछले सप्ताह भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण मात्र 22 प्रतिशत रह गया जिससे कई राज्यों में पानी की कमी हो गई और जलविद्युत उत्पादन पर भी असर पड़ा है. जून-जुलाई को खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है, क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी दौरान होती है.
अल नीनो का क्या प्रभाव
वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्तमान में ‘अल नीनो' की स्थिति बनी हुई है और अगस्त-सितंबर तक ‘ला नीना' की स्थिति बन सकती है. ‘अल नीनो' मध्य प्रशांत महासागर में सतह के जल का गर्म होना है जो भारत में कमजोर मानसूनी हवाओं और शुष्क परिस्थितियों से जुड़ा हुआ है. वहीं ‘ला नीना' अल नीनो का उलटा है और इसकी वजह से मानसून के मौसम में भारी बारिश होती है.
(भाषा इनपुट्स के साथ)