पुरातात्विक धरोहरों की तस्करी रोकने के लिए साथ आए भारत-अमेरिका, दोनों देशों में हुआ ये अहम समझौता

पुरातात्विक चीजों की अवैध तस्करी और व्यापार को रोकने के लिए हुआ ये समझौता काफी अहम है. पुरातात्विक धरोहरों को सहेजना हमारे विदेश नीति का हिस्सा है. 

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अवैध तस्करी और व्यापार को रोकने के लिए हुआ समझौता
नई दिल्ली:

भारत और अमरीका के बीच पुरातात्विक धरोहरों की तस्करी रोकने के लिए समझौता हुआ है. इस दौरान भारत के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत और अमेरीका के राजदूत एरिक गारसेटी मौजूद थे. ये समझौता मोदी-बाइडिन के बातचीत का नतीजा है. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की अवैध तस्करी रोकने के लिए दोनों देशों के बीच ये करार हुआ. इस समझौते से कई ऐतिहासिक धरोहरों के भारत वापस आने का रास्ता साफ होता है.

अवैध तस्करी रोकने के लिए समझौता

पुरातात्विक चीजों की अवैध तस्करी और व्यापार को रोकने के लिए हुआ ये समझौता काफी अहम है. पुरातात्विक धरोहरों को सहेजना हमारे विदेश नीति का हिस्सा है. अब तक 350 पुरातात्विक धरोहरों को भारत दूसरे देशों से वापस लाया जा चुका है. भारत-अमरीका हमारी सभ्यता के धरोहरों की अवैध तस्करी रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत एक बेशकीमती जगह है. अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी ने कहा कि अमरीका पूरे विश्व के संस्कृति के लिए काम करता है.

इस समझौते पर क्या बोले अमेरिकी राजदूत

अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी ने कहा कि भारत आजादी के बाद बहुत सारी चीजों को नहीं ला सका, जबकि ये भारत का अधिकार है. अमरीका भारत की सांस्कृतिक और एतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है. ये समझौता करना आसान है लेकिन एक एक पैराग्राफ को लिखने के पीछे बहुत सारा होमवर्क किया है. 29 कल्चरल प्रापर्टी एग्रीमेंट अमरीका और भारत के बीच है. पिछले साल अमरीका में भारत के बौद्ध धर्म के बारे में हमने प्रदर्शनी आयोजित किया. इस प्रदर्शनी को देखने बहुत सारे अमरीकी आए. अमरीका भारत सरकार और राज्यों के साथ सहयोग कर रहा है. 3 मिलियन डॉलर अमरीका भारत के पुरातात्विक धरोहरों को संवारने में लगा रहा है

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