भारत को बिजली चालित वाहनों की चार्जिंग के मामले में वैश्विक मानक (Global Standards) की बराबरी करने के लिए 2030 तक 46,000 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन (EV charging stations) बनाने होंगे. शुक्रवार को जारी एक श्वेत-पत्र में यह कहा गया. वैश्विक पेशेवर सेवा कंपनी अल्वारेज एंड मार्सल ने श्वेत-पत्र में बताया कि चीन और नीदरलैंड के लिए ईवी चार्जिंग अनुपात 6 है, अमेरिका के लिए 19 और भारत के लिए यह अनुपात 135 है. इसका मतलब यह है कि भारत में 135 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक चार्जर है जबकि चीन में छह इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच एक चार्जर है.
यह श्वेत-पत्र ‘ईवीकॉनइंडिया 2022' नाम के एक इलेक्ट्रिक वाहन सम्मेलन में जारी किया गया. इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की राह में आने वाली चुनौतियों के साथ-साथ दाम, आपूर्ति श्रृंखला, उत्पाद सुरक्षा एवं गुणवत्ता तथा अपर्याप्त वित्तपोषण जैसे अहम मुद्दों पर बात की गई. इसमें कहा गया कि भारत के बड़े वाहन क्षेत्र और प्रदूषण की समस्या को देखते हुए आने वाले वक्त में यहां नवोन्मेष के लिए बड़े अवसर होंगे और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में भी तेजी आएगी.
श्वेत-पत्र के मुताबिक यदि आपूर्ति श्रृंखला, उत्पाद सुरक्षा, उत्पाद एवं बैटरी नवाचार, चार्जिंग अवसंरचना और वित्तपोषण के अवरोधकों को दूर कर दिया जाए तो अगले पांच वर्ष में उद्योग के उप-खंड 50 से 100 फीसदी की चक्रीय औसत वृद्धि दर के साथ बढ़ेंगे. अल्वारेज एंड मार्सल इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष सैगल ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यदि इन मुद्दों को उद्योग सरकार के समर्थन के साथ समन्वित प्रयासों के जरिए सुलझा लेता है तो भारत ईवी श्रेणी में वैश्विक विनिर्माण केंद्र और अग्रणी बाजारों में से एक बन सकता है.''
इस कार्यक्रम में नीति आयोग के सलाहकार (अवसंरचना कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रिक वाहन) सुधेंदु जे सिन्हा ने कहा, ‘‘हम उतार-चढ़ाव वाले इस दौर का उपयोग दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनने के लिए करना चाहते हैं. हम ईवी घटकों और बैटरियों का अग्रणी निर्यातक देश बनना चाहते हैं.''
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