भारत के शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में इतिहास रचने के लिए करना होगा थोड़ा इंतजार, जानें क्‍यों?

अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहे भारत के अंतरिक्ष यात्री नामित ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग के पदचिन्हों पर चलने जा रहे हैं, लेकिन शुक्ला चांद पर नहीं, बल्कि केवल परिक्रमा कर रहे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में जा रहे हैं.

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ग्रुप कैप्टन शुक्ला का मिशन 14 दिन का होगा...
नई दिल्‍ली:

भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में इतिहास रचने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. ग्रुप कैप्टन शुक्ला अब 8 जून से पहले उड़ान नहीं भर पाएंगे. ये मिशन अब 11 दिन की देरी से शुरू होगा. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन एक बेहद बिजी प्‍लेस है, जहां दुनिया भर के अंतरिक्ष यात्रियों के मिशन चल रहे हैं. ऐसे में नासा को 29 मई से 8 जून, 2025 तक मिशन को रीशेड्यूल करने के लिए कहा गया है. ग्रुप कैप्टन शुक्ला का मिशन 14 दिन का होगा.

अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहे भारत के अंतरिक्ष यात्री नामित ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग के पदचिन्हों पर चलने जा रहे हैं, लेकिन शुक्ला चांद पर नहीं, बल्कि केवल परिक्रमा कर रहे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में जा रहे हैं. शुभांशु शुक्ला, जिनका कॉल साइन 'शक्स' है, उनका 'इसरो के लिए एक छोटा कदम, भारत के लिए एक बड़ी छलांग' हो सकता है. 

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान पायलट से लेकर गगनयान मिशन का चेहरा बनने तक का सफर, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक बिल्कुल नया अनुभव है. गगनयान मिशन पर भेजे जाने के लिए अंगद प्रताप, अजित कृष्णन, शुभांशु शुक्ला और पार्श्वनाथ नायर का चयन किया गया, जिसने उन्हें रातों-रात नायक बना दिया. शुक्ला 29 मई को इसरो-नासा संयुक्त मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने वाले थे. भारतीय वायुसेना के दोनों पायलट प्रताप और कृष्णन पिछले सप्ताह यहां अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री महासंघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन (ग्लेक्स) में शामिल हुए थे.

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