UN अधिकारियों के मुताबिक भारत की ‘आबादी’ उसे सुरक्षा परिषद की सदस्यता पाने में मदद कर सकती है

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का दावा मजबूत हो सकता है अगर यह चीन से आगे निकल जाता है और 2023 में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाता है. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष जनसंख्या अधिकारी ने दी.  

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का दावा अपनी आबादी की वजह से मजबूत हो सकता है
न्यूयार्क:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का दावा मजबूत हो सकता है अगर यह चीन से आगे निकल जाता है और 2023 में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाता है. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष जनसंख्या अधिकारी ने दी.  सोमवार को जारी वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2022 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अगले साल दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत की आबादी 1.412 अरब है जबकि चीन की आबादी 1.426 अरब है.

ऐसा माना जा रहा है कि भारत 2023 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकल जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक, 2050 में भारत की आबादी 1.668 होगी जो सदी के मध्य तक चीन की 1.317 बिलियन की आबादी से काफी आगे है.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग और जनसंख्या प्रभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक जनसंख्या 15 नवंबर, 2022 को 8 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है. गौरतलब है कि, वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद से अपनी सबसे धीमी दर से बढ़ रही है और 2020 में तो यह एक प्रतिशत से नीचे तक गिर गई थी.

संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अनुमानों से पता चलता है कि दुनिया की आबादी 2030 में लगभग 8.5 बिलियन और 2050 में 9.7 बिलियन तक बढ़ सकती है. साल 2080 के दौरान यह 10.4 बिलियन तक पहुंच सकता है और 2100 तक उसी स्तर पर बने रहने का अनुमान है.

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (डीईएसए) के जनसंख्या प्रभाग के निदेशक जॉन विल्मोथ ने सोमवार को कहा कि सबसे बड़ी आबादी वाले देश के रूप में भारत के उभरने से "कुछ चीजों पर दावे" हो सकते हैं.

"दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाले देश होने का क्या महत्व है? मुझे लगता है कि चीजों पर आपके कुछ दावे हैं. मुझे आश्चर्य है कि संयुक्त राष्ट्र में भूमिकाओं और सुरक्षा परिषद के स्थायी पांच सदस्यों की भूमिकाओं के बारे में चर्चा के संदर्भ में क्या होगा.” जॉन विल्मोथ ने   कहा.

"अगर भारत सबसे बड़ा देश बन जाता है, तो वे सोच सकते हैं कि इससे उन्हें यह दावा मिलता है कि उन्हें इसका (सुरक्षा परिषद्) हिस्सा होना चाहिए. लेकिन, आप जानते हैं , यह उनके दावे को मजबूत कर सकता है," विल्मोथ ने रिपोर्ट के लॉन्च पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत के चीन से आगे निकलने के प्रभाव पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा.

भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से कोशिश कर रहा है औऱ कहता है कि वह परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में एक स्थान का हकदार है. भारत का यह भी कहना है कि मौजूदा स्वरूप में 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व सुरक्षा परिषद् नहीं करता है.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Delhi Assembly Elections: शिक्षा से लेकर कूड़ा तक..इन मुद्दों पर Anurag Thakur का AAP पर हमला