'हम पाकिस्तान से सामान्य पड़ोसियों जैसे संबंध चाहते हैं', शहबाज शरीफ के बातचीत की पेशकश पर भारत की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा ‘‘हम पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसियों जैसे संबंध चाहते हैं, लेकिन इसके लिए उपयुक्त माहौल होना चाहिए, जो आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त हो.’’

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नई दिल्ली:

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के द्विपक्षीय बातचीत की पेशकश करने के कुछ ही दिन बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसियों जैसे संबंध चाहता है, लेकिन इसके लिए आतंकवाद और हिंसा से मुक्त वातावरण होना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह टिप्पणी उस वक्त की जब उनसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा पिछले सप्ताह कश्मीर सहित विभिन्न ज्वलंत मुद्दों के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत की पेशकश के बारे में पूछा गया था.

बागची ने कहा, ‘‘हमने यह (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की) टिप्पणी देखी है, लेकिन इसके बाद वहां के पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) ने कुछ और कहा. इसके कुछ दिनों पहले वहां के कुछ नेताओं ने भी टिप्पणी की थी.'' उन्होंने कहा, ‘‘हम पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसियों जैसे संबंध चाहते हैं, लेकिन इसके लिए उपयुक्त माहौल होना चाहिए, जो आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त हो.'' पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सोमवार को दुबई स्थित अल अरबिया समाचार चैनल के साथ एक साक्षात्कार के दौरान कश्मीर सहित विभिन्न 'ज्वलंत' मुद्दों के समाधान के लिए अपने भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी के साथ 'गंभीर' बातचीत की पेशकश की थी.

शरीफ ने कहा था, ‘‘भारतीय नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मेरा संदेश है कि आइए, हम बातचीत की मेज पर बैठें और कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दों के हल के लिए गंभीरता से बातचीत करें.'' उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान और भारत पड़ोसी देश हैं और उन्हें ‘‘एक दूसरे के साथ ही रहना है.'' हालांकि, इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि कश्मीर पर 2019 में उठाये गए कदम को वापस लिए बिना भारत के साथ बातचीत संभव नहीं है.

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गौरतलब है कि भारत लगातार कहता रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते और पाकिस्तान को बातचीत की बहाली के लिए अनुकूल माहौल मुहैया कराना चाहिए. भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और पांच अगस्त, 2019 को राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए थे.

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