ASAT मिसाइल टेस्‍ट के बाद अब दुश्‍मनों के रडार का पता लगाने वाले सैटेलाइट के लॉन्‍च की तैयारी में भारत

यह पहली बार होगा जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आम लोगों को अपना रॉकेट लॉन्‍च देखने के लिए आमंत्रित कर रहा है.

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PSLV की यह 47वीं उड़ान होगी
नई दिल्‍ली:

स्‍पेस मिसाइल का इस्तेमाल कर एक लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट को मार गिराने के बाद भारत अब पोलर सैटेलाइट लॉन्‍च व्‍हीकल (पीएसएलवी) के मिशन के जरिए एक ऐसे निगरानी उपग्रह को लॉन्‍च करना चाहता है जिसमें कई बातें पहली बार होंगी.

यह पहली बार होगा जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आम लोगों को अपना रॉकेट लॉन्‍च देखने के लिए आमंत्रित कर रहा है. अगली चीज जो पहली बार होगी, इसरो अपने किसी मिशन के जरिए तीन उपग्रहों को तीन अलग अलग कक्षाओं में स्‍थापित करने की कोशिश करेगा. इसरो के चेयरमैन के सिवन कहत हैं, 'यह लॉन्‍च की लागत को काबू में रखने का तरीका है क्‍योंकि यह एक थ्री इन वन मिशन बन जाता है.'

भारत ने 27 मार्च को मिशन शक्ति के तहत एंटी सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल का परीक्षण किया था.

1 अप्रैल को होने वाले पीएसएलवी लॉन्‍च एक नहीं बल्कि 29 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ले जाएगा. सिवन कहते हैं, 'फिलहाल हम जिस मिशन को लक्ष्‍य कर रहे हैं वह है PSLV C-45. यह मिशन इस लिहाज से विशेष है कि यह पहली बार PSLV की एक ही फ्लाइट में थ्री ऑर्बिट मिशन होगा.

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इसरो प्रमुख ने कहा, 'शुरुआत में पहला मुख्‍य सैटेलाइट 763 किलोमीटर की कक्षा में लॉन्‍च किया जाएगा. और उसके बाद 504 किलोमीटर तक की कक्षा में पहुंचने के लिए PS4 दो बार काम करेगा. वहां पीएसएलवी 28 अन्‍य उपग्रहों को लॉन्‍च कर देगा और फिर उसके बाद PS4 को 485 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचाने के लिए दो बार जलाया जाएगा. वहां PS4 ऑर्बिटल प्‍लैटफॉर्म के रूप में काम करेगा.'

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सिवन ने कहा, 'इस बार यह ऑर्बिटल प्‍लैटफॉर्म पूरी तरह बैटरियों की जगह सोलर सेल्‍स से चालित होगा. PS4 प्‍लैटफॉर्म में तीन अटैचमेंट होंगे - उनमें से एक इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ स्‍पेस टेक्‍नोलॉजी का होगा, जिसकी योजना हम बना रहे हैं.'

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तो आखिर मुख्‍य अटैचमैंट क्‍या होगा और उसका काम क्‍या होगा?

सिवन ने कहा, 'मुख्‍य अटैचमेंट EMISAT होगा जो डीआरडीओ के लिए एक रणनीतिक सैटेलाइट है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के लिए छोड़ा जा रहा EMISAT 436 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट है जो भारत की मिनी सैटेलाइट बस पर आधारित है. इसरो का कहना है कि यह सैटेलाइट इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक स्‍पेक्‍ट्रम को मापने के लिए बना है.

सूत्रों ने बताया कि निचली कक्षा में स्थित सैटेलाइट दुश्‍मनों के इलाके में अंदर तक स्थित राडर स्‍टेशनों की निगरानी करेगा और उनकी लोकेशन भी बताएगा. अभी तक भारत इसके लिए विमानों का इस्‍तेमाल अर्ली वार्निंग प्‍लैटफॉर्म्स के रूप में करता था, लेकिन इस सैटेलाइट की मदद से अंतरिक्ष से ही दुश्‍मन के रडारों का पता लगाने में मदद मिलेगी.

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श्रीहरिकोटा से यह 71वां लॉन्‍च व्‍हीकल मिशन होगा जबकि 320 टन भारी और 44 मीटर ऊंची PSLV की 47वीं उड़ान होगी.

इस लॉन्‍च में अमेरिका, स्विटजरलैंड, लिथुआनिया और स्‍पेन के 28 सैटेलाइट भी लॉन्‍च होंगे. इनमें 20 Flock-4A और 4 Lemur सैटेलाइट भी होंगी. Lemur सैटेलाइट वही सैटेलाइट है जिनकी विवादित तस्‍वीरों की वजह से भारतीय वायुसेना के बालाकोट एयर स्‍ट्राइक पर सवाल खड़े किए गए थे.

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