भारत की जनसंख्या 1.46 अरब पहुंची, लेकिन प्रजनन दर में गिरावट- UN की रिपोर्ट क्या गणित बता रही?

World Population Day 2025: बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में उच्च प्रजनन दर जारी है. वहीं दूसरी ओर, दिल्ली, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में प्रजनन क्षमता रिप्लेसमेंट लेवल (प्रति महिला 2 बच्चे) के नीचे बनी हुई है.

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India Population Data, UN Report: भारत की जनसंख्या 1.46 अरब पहुंची
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  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार भारत 2025 तक अनुमानित 146 करोड़ जनसंख्या के साथ सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा.
  • देश की युवा आबादी महत्वपूर्ण बनी हुई है, जिसमें 0 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के 24 प्रतिशत और 15 से 64 वर्ष के 68 प्रतिशत लोग शामिल हैं.
  • बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में उच्च प्रजनन दर बनी हुई है, जबकि दिल्ली, केरल और तमिलनाडु में प्रजनन दर रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे है.
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World Population Day 2025: 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी मौके पर भारत की जनसंख्या से जुड़ी UN की एक रिपोर्ट भी आई है जिसमें अहम आंकड़े पता चले हैं. भारत साल 2025 तक अनुमानित 1.46 अरब लोगों के साथ सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा. हालांकि, देश की कुल प्रजनन दर 2.1 से घटकर 1.9 रह गई है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने यह जानकारी मंगलवार को जारी ताजा रिपोर्ट में दी है. 2025 विश्व जनसंख्या आंकड़ा (SOWP) रिपोर्ट बताती है कि असली संकट जनसंख्या के आकार में नहीं, बल्कि लोगों के स्वतंत्र और जिम्मेदारी से यह तय करने के अधिकार में आने वाली व्यापक चुनौतियों में है कि वे बच्चे चाहते हैं या नहीं, कब चाहते हैं और कितने बच्चे चाहते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का अनुमान है कि "भारत की वर्तमान जनसंख्या 1,463.9 मिलियन है."

रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी लगभग 1.5 बिलियन है. यह संख्या गिरने से पहले लगभग 1.7 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है."

भारत में जनसंख्या को लेकर क्या सामने आया?

भारत में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) वर्तमान में प्रति महिला 2.0 बच्चे हैं. इसका मतलब है कि औसतन, भारत में एक महिला से उसके प्रजनन वर्षों (आमतौर पर 15-49 वर्ष की आयु) के दौरान 2 बच्चे की उम्मीद की जाती है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, यह दर 2020 से स्थिर बनी हुई है.

हालांकि, नई रिपोर्ट में दिखाया गया है कि प्रजनन दर घटकर 1.9 बच्चे प्रति महिला हो गई है. इसका मतलब है कि औसतन भारतीय महिलाएं इतने कम बच्चे पैदा कर रही हैं कि यह बिना माइग्रेशन के अगली पीढ़ी में जनसंख्या के आकार को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है. 

धीमी जन्म दर के बावजूद, भारत की युवा आबादी महत्वपूर्ण बनी हुई है, जिसमें 0-14 आयु वर्ग में 24 प्रतिशत, 10-19 में 17 प्रतिशत और 10-24 में 26 प्रतिशत हैं. जबकि, 68 प्रतिशत आबादी 15-64 आयु वर्ग की है, बुजुर्ग आबादी (65 और उससे अधिक) 7 प्रतिशत है.

2025 के हिसाब से जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 71 वर्ष और महिलाओं के लिए 74 वर्ष होने का अनुमान है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत को मध्यम आय वाले देशों के समूह में रखा गया है, जो तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव से गुजर रहा है. यहां जनसंख्या दोगुनी होने का अनुमान अब 79 वर्ष है.

बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में उच्च प्रजनन दर जारी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां, गर्भनिरोधक को कम अपनाने, स्वास्थ्य सेवाओं और लिंग मानदंडों के कारण बिना प्लानिंग और कम अंतराल वाले बच्चे पैदा होना आम बात है. वहीं दूसरी ओर, दिल्ली, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में प्रजनन क्षमता रिप्लेसमेंट लेवल (प्रति महिला 2 बच्चे) के नीचे बनी हुई है. यहा पति-पत्नी लागत और कार्य-जीवन संघर्ष के कारण बच्चे के जन्म में देरी कर रहे हैं या बच्चे पैदा ही नहीं कर रहे हैं, खासकर शिक्षित मध्यवर्गीय महिलाओं में.

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UNFPA के भारत प्रतिनिधि एंड्रिया एम. वोजनार ने कहा, "भारत ने प्रजनन दर को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो 1970 में प्रति महिला लगभग पांच बच्चों से आज लगभग दो बच्चों तक हो गई है. यह बेहतर शिक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के कारण हुआ है." वोजनार ने कहा, "इससे मातृ मृत्यु दर में बड़ी कमी आई है."

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