शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर’: पाक का सरेंडर- कैसे घुटनों पर आया आतंक का आका… EP 5

Story Of Operation Sindoor: एनडीटीवी इंडिया आपके लिए लेकर आया है शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर’. 5 एपिसोड की इस सीरिज में हम आपको बताएंगे तीनों सेनाओं की उस पराक्रम की कहानी जिसने पूरे देश का मस्तक आज गर्व से ऊंचा कर दिया है.

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India-Pakistan Operation Sindoor: शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर’: पाक का सरेंडर

कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए
जो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा

महान शायर वसीम बरेलवी की जुबां में भारत ने अपना कलेजा दिखा दिया था. पाकिस्तान से पहलगाम आतंकी हमले का बदला वसूला जा सका था. अव्वल बात यह कि हिसाब उसके घर में घुसकर (Operation Sindoor) अपनी शर्तों पर चुकाया गया था. भारत की सेना ने पहले आतंकियों और फिर उनका साथ देने वाली पाकिस्तान सेना को अपना रौद्र रूप दिखाया था, अपनी जमीन की हिफाजत की थी और पाकिस्तान के अंदर तांडव मचाया था. इसके बाद पाकिस्तान के पास सिर्फ एक ही विकल्प था- फोन घुमाकर भारत से सीजफायर की अपील करना और यह दुआ करना था कि भारत का तांडव फेज खत्म हो गया हो और वह अपील स्वीकार कर ले.  

हम आपके लिए लेकर आए हैं शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर'. 5 एपिसोड की इस सीरिज में हम आपको बताएंगे हमारी तीनों सेनाओं की उस पराक्रम की कहानी जिसने पूरे देश का मस्तक आज गर्व से ऊंचा कर दिया है, पाकिस्तान को पाकिस्तान के अंदर चोट पहुंचाई है. वैसे प्रहार तो आतंकवादियों पर शुरू किया लेकिन जब पाकिस्तान ने हिमाकत दिखाई तो उसकी सेना को अपनी ताकत दिखाई. यह है शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर' का पांचवां और आखिरी एपिसोड– ‘पाक का सरेंडर'. इससे पहले के सभी एपिसोड को पढ़ने के यहां क्लिक करें.

शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर'– ‘पाक का सरेंडर'

भारत और पाकिस्तान ने पिछले ढ़ाई दशक में सबसे तीव्र लड़ाई देखी थी. चार दिनों तक बढ़ते संघर्ष में फाइटर जेट, मिसाइलें और विस्फोटकों से भरे ड्रोन शामिल थे. पाकिस्तान को अपनी हिमाकत के लिए मुंह की खानी पड़ी थी. भारत ने उसके हर हमले को रोक दिया था और उसे जवाबी हमले में बड़ी चोट पहुंचाने की अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहा था. आखिरकार 10 मई के दिन पाकिस्तान को थक हारकर बातचीत की मेज पर आना ही पड़ा. उसकी सेना ने भारत की सेना को कॉल घुमाया और सीजफायर की बात की. 

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हालांकि सीजफायर की आधिकारिक घोषणा के बीच ही अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सोशल पर एक पोस्ट करके इसकी जानकारी दुनिया को दे दी और साथ ही यह भी दावा कर दिया कि उन्होंने ही बिचौलिया बनकर इस सीजफायर के लिए दोनों देशों को राजी किया. ट्रंप ने यह झूठा दावा 10 मई के बाद से लगभग हर दिन कम से कम एक बार जरूर किया है. लेकिन भारत ने इस झूठ का फैक्टचेक करने के साथ-साथ यह विस्तार में बताया है कि बात सीजफायर तक कैसे पहुंची.

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ट्रंप के बार-बार इस दावे के बीच कि उन्होंने "सीजफायर" कराया है, भारत सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि समझौते की सटीक तारीख, समय और शब्द 10 मई को दोपहर 3:35 बजे दोनों देशों के डॉयरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) द्वारा फोन पर बातचीत के दौरान निर्धारित किए गए थे.

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल के अनुसार, "इस कॉल के लिए भारत के विदेश मंत्रालय को पाकिस्तानी उच्चायोग से अनुरोध दोपहर 12.37 बजे मिला था.. पाकिस्तानी पक्ष को तकनीकी कारणों से हॉटलाइन कनेक्ट करने में शुरुआती दिक्कतें आईं. फिर भारतीय डीजीएमओ की उपलब्धता के आधार पर बातचीत के लिए 3:35 बजे का समय तय किया गया."

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उन्होंने बताया कि 10 तारीख की सुबह, भारत ने पाकिस्तान वायु सेना के प्रमुख ठिकानों पर बेहद प्रभावी हमला किया था. यही कारण है कि पाकिस्तान अब गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने को कहने लगा. भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ-साफ कहा कि “भारतीय हथियारों की ताकत थी जिसने पाकिस्तान को गोलीबारी रोकने के लिए मजबूर किया था."

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भारत ने पाकिस्तान की संघर्ष रोकने की यह अपील स्वीकार कर ली थी. भारत का प्राथमिक लक्ष्य पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी गतिविधियों के ठिकानों को निशाना बनाने जो उसने ऑपरेशन सिंदूर के पहले ही कदम के साथ कर दिया था. भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई की शाम 5 बजे से सीजफायर लागू हो गया. भारत ने कह दिया था कि भले बॉर्डर पर हमला न हो लेकिन ये 6 फैसले नहीं बदेलेंगे:

  1. पहले की तरह ही सिंधु जल समझौता निलंबित रहेगा
  2. अटारी का इंटीग्रेटेड बॉर्डर भी बंद रहेगा
  3. पाकिस्तानियों के लिए हर वीजा सर्विस पर रोक बनी रहेगी
  4. पाकिस्तान के साथ हर बिजनेस / ट्रेड पर रोक बनी रहेगी
  5. पाकिस्तान के लिए भारत का एयरस्पेस बंद रहेगा
  6. पाकिस्तानी एक्टर्स और आर्टिस्ट्स पर बैन बना रहेगा

खैर वह पाकिस्तान ही क्या जो वादे निभाए और नियम-कानून से काम करे. उसने कुछ घंटे बीतते ही सीजफायर का उल्लंघन किया और भारत पर ड्रोन अटैक की कोशिश की. भारत के सशस्त्र बलों ने इन उल्लंघनों पर पर्याप्त और उचित जवाब दिया. इसके बाद पाकिस्तान ने दोबारो सीजफायर तोड़ने की गलती नहीं की. भारत ने यह साफ कर दिया है कि दोनों देशों के बीच सहमत हुई सीजफायर की कोई एक्सपायरिंग डेट नहीं है. साथ ही यह बात भी पाकिस्तान को साफ शब्दों में बता दिया गया कि भारत ने अपना ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं किया है, उसे रोका भर गया है. अगर पाकिस्तान ने भारत में शांति को तोड़ा तो भारत को जवाबी हमला करने में कोई परहेज नहीं होगा.

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से क्या पाया?

लेकिन पाकिस्तान में अलग खुमारी छाई थी. हर मोर्चे पर हार के बाद भी पाकिस्तान जीत का दावा कर रहा था. वैसे उसकी हर यह आदत पुरानी है. उसने 1971 में बांग्लादेश का युद्ध हारने के बाद भी उसे अपनी हार नहीं मानी था. उसकी बात रहने ही देते हैं. भारत के लिए बस अहम यह था कि उसे इस संघर्ष से क्या मिला. पाकिस्तान के दावों से दूर तथ्य अपने आप में आईने की तरह साफ हैं- भारत ने निर्णायक रूप से युद्ध के मैदान को कंट्रोल किया है. इसने पाकिस्तानी सेना और आतंकी बुनियादी ढांचे को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाया, अपने अभेद  S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के साथ पाकिस्तान से आने वाले 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों को निष्क्रिय कर दिया, और पाकिस्तान के न्यूक्लियर कमांड के केंद्र रावलपिंडी के करीब खतरनाक लक्ष्यों पर हमला किया. 

भारत ने अपने 26 लोगों की निर्मम हत्या का हिसाब पाकिस्तान में 100 किमी अंदर तक अटैक करके वसूला था. उसने लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों पर सटीक हमले किए और 100 से अधिक आतंकियों को हमेशा के लिए सुला दिया. 

इसके विपरीत, पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई कमजोर और अप्रभावी थी. उसके सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलें भारतीय हवाई क्षेत्र में घुस तो आए थे लेकिन कुछ एक को छोड़कर कोई सफल नहीं हुआ. भारत के S-400 ने अत्यंत सटीकता के साथ प्रदर्शन किया, जिससे दोनों देशों की एयर डिफेंस क्षमताओं के बीच की खाई का पता चला. तो सवाल यह कि पाकिस्तान जश्न क्यों मना रहा. उसके लिए जीतने की परिभाषा आगे वाले देश को युद्ध के मैदान में ताकत के साथ हराने में नहीं है, उसने अपना अस्तित्व बचा लिया, यही उसके लिए जीत है. जिस देश की जनता रोटी के लिए लाइन में लगती हो, जहां कोई सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा न करती हो, जहां लोकतंत्र का जनाजा आए दिन निकलता हो, जो देश चलाने के लिए दुनिया भर से भीख मांगता हो, वहां पाकिस्तान बचा है- वहीं अपने आप में एक "जीत" है.

तो ये थी हमारी 5 एपिसोड में शौर्यगाथा ‘ऑपरेशन सिंदूर' की कहानी. बाकि के चार एपिसोड से लिंक हम आपको एक साथ एक जगह दे रहे हैं.

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