IT नियमों पर भारत ने खारि‍ज की UNHRC की आलोचना - 'संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी की गारंटी'

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘भारतीय संविधान के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है.'

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

सूचना प्रौद्योगिकी के नए नियमों को ‘‘सोशल मीडिया के साधारण प्रयोक्ताओं को सशक्त'' बनाने वाला बताते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) द्वारा जतायी गयी चिंताओं को रविवार को खारिज कर दिया और कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नए नियम तय किए गए हैं.

सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया शाखा के पत्र के जवाब में कहा कि भारत की लोकतांत्रिक साख को अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘भारतीय संविधान के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है. स्वतंत्र न्यायपालिका और मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का हिस्सा हैं.'

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की विशेष शाखा से यह पत्र ऐसे वक्त आया है जब सरकार द्वारा 25 फरवरी को अधिसूचित मध्यवर्ती संस्‍थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियमों को लेकर ट्विटर और सरकार के बीच टकराव चल रहा है.

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यूएनएचआरसी की विशेष शाखा ने 11 जून को नए आईटी नियमों के कुछ प्रावधानों को लेकर चिंताएं प्रकट करते हुए आरोप लगाया था कि ये अंतरराष्ट्रीय कानूनों, निजता के अधिकार संबंधी मानकों तथा नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय संधि द्वारा मान्य वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं है. इस संधि को भारत ने 10 अप्रैल 1979 स्वीकार लिया था. यूएनएचआरसी की विशेष शाखा ने सरकार से नए कानूनों को लेकर सभी हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा करने को कहा था. ट्विटर को 31 जनवरी 2021 को किसानों के प्रदर्शन के बारे में भ्रामक सूचनाएं फैलाने वाले 1,000 से ज्यादा अकाउंट को बंद करने के निर्देश पर भी चिंता जतायी गयी थी.

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यूएनएचआरसी की विशेष शाखा ने कहा था, ‘हमें चिंता है कि नए नियम अधिकारियों को उन पत्रकारों को सेंसर करने की शक्ति प्रदान कर सकते हैं जो सार्वजनिक हित की जानकारी को उजागर करते हैं और ऐसे व्यक्ति जो सरकार को जवाबदेह ठहराने के प्रयास में मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं को सामने लाते हैं.'

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आशंकाओं पर जवाब देते हुए भारत सरकार ने कहा, ‘नए नियम सोशल मीडिया के सामान्य प्रयोक्ताओं को सशक्त करने के लिए बनाए गए हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुर्व्यवहार के शिकार लोगों के पास उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक मंच होगा. विभिन्न हितधारकों के साथ उचित चर्चा के बाद आईटी नियमों को अंतिम रूप दिया गया.'

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सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग के बढ़ती मामलों के कारण व्यापक चिंताओं के चलते नए आईटी नियम लागू करना आवश्यक हो गया था. दुरुपयोग की इन घटनाओं में आतंकियों की भर्ती के लिए प्रलोभन, अश्लील सामग्री का प्रसार, वैमनस्य का प्रसार, वित्तीय धोखाधड़ी, हिंसा, उपद्रव के लिए उकसाना आदि शामिल हैं. भारत के स्थायी मिशन ने अपने जवाब में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2018 में लोगों, सिविल सोसाइटी, उद्योग संघ और संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया और मसौदा नियम तैयार करने के लिए सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित कीं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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