भारत ने चीन के नये भूमि सीमा कानून पर चिंता व्यक्त की, बताया ‘एकतरफा कदम’

पिछले साल लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के आमने-सामने होने के बाद से भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है.

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भारत ने चीन के नए भूमि सीमा कानून पर चिंता व्यक्त की.
नई दिल्ली:

भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों के संरक्षण और उपयोग से संबंधी चीन के नए कानून पर चिंता व्यक्त की है. दोनों देशों के बीच जारी सैन्य गतिरोध के बीच हाल ही में चीन द्वारा यह कानून पारित किया गया है. इसे "एकतरफा कदम" बताते हुए, सरकार ने कहा, "चीन इस कानून के बहाने कार्रवाई करने से बच जाएगा जो भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एकतरफा स्थिति को बदल सकता है".

चीनी मीडिया के अनुसार, शनिवार को पारित नए कानून के तहत, चीन "प्रादेशिक अखंडता और सीमा भूमि की रक्षा, क्षेत्रीय संप्रभुता और सीमा भूमि को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य के खिलाफ सुरक्षा और मुकाबला करने के लिए उपाय करेगा".

चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, "कानून यह भी निर्धारित करता है कि चीन सीमा रक्षा को मजबूत करने, सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार करने, वहां लोगों के जीवन को प्रोत्साहित करने और वहां काम करने के लिए उपाय कर सकेगा.''

यह इंगित करते हुए कि भारत और चीन ने अभी तक सीमा से जुड़े सवालों को हल नहीं किया है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "चीन का एकतरफा निर्णय एक ऐसा कानून लाने का है जो सीमा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा से जुड़े सवालों पर मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. यह हमारे लिए चिंता का विषय है".

प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष समान स्तर पर परामर्श के माध्यम से सीमा प्रश्न के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की तलाश करने पर सहमत हुए हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए इस बीच कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं भी की गई हैं.

मंत्रालय ने कहा कि इसे देखते हुए इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा जिनपर दोनों पक्ष के बीच पहले ही सहमति बन चुकी है. चाहे वह सीमा से जुड़े सवालों पर हो या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए हो.

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पिछले साल लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के आमने-सामने होने के बाद से भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है.

भारत ने चीन पर "एलएसी की अस्थिर एकतरफा व्याख्या" और "एलएसी यथास्थिति को बदलने का प्रयास" करने का आरोप लगाया था.

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