भारत अब ड्रोन योद्धाओं की फौज खड़ी करेगा, स्कूल ऑफ ड्रोन वॉरफेयर में मिलेगी ट्रेनिंग

बीएसएफ ने हवाई खतरों से निपटने के लिए अपना पहला ड्रोन स्क्वाड्रन भी बनाया है. स्कूल ऑफ ड्रोन वॉरफेयर भी खोला गया है. भविष्य में दूसरे केंद्रीय पुलिस बलों के जवानों को भी यहां प्रशिक्षण दिया जा सकता है.

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ड्रोन की तस्वीर प्रतीकात्मक है.
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  • बीएसएफ ने ऑपरेशन सिंदूर से सीख लेकर मध्य प्रदेश के टेकनपुर में भारत का पहला स्कूल ऑफ ड्रोन वॉरफेयर खोला है.
  • यह स्कूल बीएसएफ के जवानों को यूएवी संचालन, एंटी ड्रोन रणनीति, निगरानी और खुफिया प्रशिक्षण देगा.
  • ऑपरेशन सिंदूर और रूस-यूक्रेन युद्ध से मिली सीख के आधार पर मशीन लर्निंग और AI का उपयोग बढ़ाया जाएगा.
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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ताबड़तोड़ ड्रोन हमलों को भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया, लेकिन अब तमाम सुरक्षा एजेंसियां भविष्य के ड्रोन हमलों से निपटने के लिए हाइटेक तैयारियां कर रही हैं. इसी कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर देश की फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस कहलाने वाली बीएसएफ ने ऑपरेशन सिंदूर से सबक लेकर मध्य प्रदेश के टेकनपुर में स्कूल ऑफ ड्रोन वॉरफेयर खोला है. भारत में यह अपनी तरह का पहला व्यवस्थित स्कूल है, जहां ड्रोन वॉरियर्स और ड्रोन कमांडोज़ तैयार किए जाएंगे. आधुनिक सामरिक चुनौतियों से लड़ने के लिये यह संस्थान सीमा प्रहरियों को विशेष रुप से प्रशिक्षण देगा.

इस अत्याधुनिक संस्थान में विभिन्न प्रकार के पांच पाठ्यक्रमों के ज़रिये ड्रोन योद्धा तैयार किए जाएंगे. फिलहाल इस स्कूल में केवल बीएसएफ के अधिकारी एवं जवानों को प्रशिक्षित किया जाएगा. हालांकि, भविष्य में दूसरे केंद्रीय पुलिस बलों के जवानों को भी यहां प्रशिक्षण दिया जा सकता है. इस स्कूल में जवानों को यूएवी संचालन, एंटी ड्रोन वॉरफेयर,निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाएगा. संस्थान में ड्रोन से जुड़ी अलग-अलग आयामों पर आधुनिक कक्षाएं होंगी. सिमुलेटर व लाइव फ्रलाइंग जोन, पेलोड इंटीग्रेशन के साथ-साथ नाइट ऑपरेशन ट्रेनिंग के साथ एंटी ड्रोन रणनीति सिखाई जाएगी. आरएफ जैमर व काइनेटिक इंटरसेप्टर की बारिकियां बताईं जाएंगी. वहीं पॉलिसी टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर और आरजीआईटी के साथ मिलकर रिसर्च एंड डेवलपमेंट में सहयोग किया जाएगा.

स्कूल के बारे में बताते हुए बीएसएफ के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने कहा कि भविष्य की सीमा सुरक्षा तकनीक पर आधारित है. यह स्कूल हमारे बल को आधुनिक खतरों से निपटने के लिये सक्षम बनाएगा. बीएसएफ के डीजी ने यह भी कहा कि पिछले तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख ने यह दर्शाया है कि एंटी ड्रोन युद्धकला में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका कितनी अधिक है. 

गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. इस दौरान पाकिस्तान ने तुर्की और चीन के सहयोग से हासिल ड्रोन्स से भारत पर लगातार निशाने साधे थे. भारतीय सैन्य बलों ने इन हमलों को नाकाम ज़रूर किया, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव से पता चला कि पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा पर तैनात जवानों को ड्रोन वॉरफेयर में पारंगत होना कितना ज़रुरी है. मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए टेकनपुर में शुरू हुआ यह स्कूल बीएसएफ के तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. स्कूल में जवानों को ड्रोन और समसामयिक युद्ध कौशल व तकनीकी ज्ञान दिया जाएगा, जो लड़ाई के वक्त बहुत काम आएगी.

खास बात यह है कि पिछले दिनों बीएसएफ ने काउंटर-यूएवी तकनीक, ड्रोन फोरेंसिक, अनुसंधान और विकास एवं प्रशिक्षण में क्षमताएं बढ़ाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के साथ एक अहम समझौता किया था. बीएसएफ ने हवाई खतरों से निपटने के लिए अपना पहला ड्रोन स्क्वाड्रन भी बनाया है. इस समझौते पर बीएसएफ के महानिदेश दलजीत सिंह चौधरी की मौजूदगी में महानिरीक्षक (आईसीटी) मनिंदर प्रताप सिंह पवार और आईआईटी कानपुर के डीन (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) प्रोफेसर तरुण गुप्ता ने हस्ताक्षर किए. समझौते के मुताबिक ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में आईआईटी कानपुर बीएसएफ की समस्याओं का समाधान करेगा. साथ ही आईआईटी कानपुर ड्रोन तकनीक पर बीएसएफ को हर तरह का परामर्श भी देगा.

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