India-China Conflict : भारतीय सेना ने चीन से जारी गतिरोध के बीच अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकने वाली ‘एम-777 अल्ट्रा लाइट' हॉवित्जर (ultra light m 777 howitzers) तोपों की तैनाती की है. सेना के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. यह तोप 30 किलोमीटर दूर तक मार करके दुश्मन को धराशायी करने में सक्षम है. लद्दाख सेक्टर के कई संवेदनशील इलाकों में हॉवित्जर तोप तैनात किए जाने के बाद अब अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम स्थानों पर इसकी तैनाती करके सेना ने अपनी मारक क्षमता में इजाफा किया है.
जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद से लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी के साथ सभी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत अपनी समग्र सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है. गलवान घाटी संघर्ष के कारण भारत-चीन की सेनाओं के बीच तनाव बहुत बढ़ गया.
सेना के अधिकारियों ने कहा कि एम-777 हॉवित्जर की तैनाती के साथ मानव रहित हवाई वाहनों, सैन्य विमानों और निगरानी उपकरणों समेत अतिरिक्त हवाई संसाधानों की तैनाती से अरुणाचल प्रदेश में भारत की सैन्य तैयारियों में बढ़ोतरी हुई है.
सेना को पहाड़ी क्षेत्रों में भारी तोपों के परिवहन में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, लेकिन अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर की तैनाती से इस चुनौती का समाधान हो गया है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘अल्ट्रा-लाइट एम-777 को चिनूक हेलीकॉप्टरों के माध्यम से जल्द ले जाया जा सकता है. अब हमारे पास परिचालन आवश्यकताओं के आधार पर उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की सुविधा है.'' उन्होंने कहा कि अब देश किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में हैं.
सेना ने पिछले साल बम-ला में एम-777 तोपें तैनात की थीं, लेकिन अब हॉवित्जर को अरुणाचल प्रदेश के आरएएलपी क्षेत्र में तैनात किया जा रहा है, जिसमें कई प्रमुख पहाड़ी क्षेत्र शामिल हैं। एम-777 तोप की अधिकतम रेंज 30 किमी है और यह बीएई सिस्टम्स द्वारा निर्मित है. यह पहली बार वर्ष 2018 में सेना को प्राप्त हुई थी. कथित बोफोर्स घोटाले के कारण करीब 30 साल के इंतजार के बाद इस तोप की खरीद हुई थी.
भारत ने वर्ष 2016 में 75 करोड़ डॉलर के सौदे के तहत अमेरिका से 145 एम-777 तोपों की खरीद का ऑर्डर दिया था. अरुणाचल प्रदेश में अग्रिम स्थानों पर मौजूदा बोफोर्स तोपों के साथ अद्यतन एल-70 हवाई रक्षा तोपों की मौजूदगी से सेना की युद्ध क्षमता में अतिरिक्त इजाफा हुआ है.
एल-70 तोप मूल रूप से वर्ष 1950 के दशक में स्वीडिश रक्षा फर्म बोफोर्स-एबी द्वारा निर्मित की गई थी. भारत ने 1960 के दशक में 1,000 से अधिक एल-70 तोप को सेना में शामिल करना शुरू किया था.
बोफोर्स तोपों को राज्य द्वारा संचालित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा उन्नत किया गया है. सेना ने चीन की सीमा से लगे पूर्वी क्षेत्र में अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं.
एलएसी के दोनों तरफ संवेदनशील क्षेत्र में वर्तमान में भारत-चीन के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.