आपसी सहमति से बेहतर हो सकेंगे रिश्ते... डेमचोक और देपसांग में डिसइंगेजमेंट पूरा होने पर बोले चीनी राजनयिक

भारत-चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 27 अक्टूबर को कहा था कि सैनिकों की वापसी पहला कदम है. अगला कदम तनाव कम करना है.

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नई दिल्ली/कोलकाता:

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर दो पॉइंट से डिसइंगेजमेंट पूरा हो गया है. बुधवार को देपसांग और डेमचोक में दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए. भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने भारत-चीन सीमा से दोनों देशों के सैनिकों की वापसी पूरी होने से रिश्तों के बेहतर होने की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि इससे आने वाले दिनों में दोनों पड़ोसियों के बीच बेहतर समझ बनाने में मदद मिलेगी.

भारत-चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 27 अक्टूबर को कहा था कि सैनिकों की वापसी पहला कदम है. अगला कदम तनाव कम करना है. ऐसे में गुरुवार को दिवाली पर चीन और भारत के सैनिक एक-दूसरे को मिठाई खिलाएंगे. इसके बाद जल्द ही इन दोनों पॉइंट पर पेट्रोलिंग शुरू होगी. इस दौरान ग्राउंड कमांडर के अधिकारियों के बीच बातचीत होती रहेगी. ग्राउंड कमांडर में ब्रिगेडियर और उससे नीचे के रैंक के अधिकारी होते हैं.

डेमचोक और देपसांग में डिसइंगेजमेंट पूरा, पीछे हटी भारत-चीन की सेना : सूत्र

चीनी राजनयिक ने शू फेइहोंग बुधवार को कोलकाता में आयोजित‘मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' के एक सेशन में ये बातें कही. उन्होंने कहा कि रूस के कजान में ब्रिक्स समिट 2024 के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई हालिया बैठक बहुत महत्वपूर्ण थी.

आम सहमति के बाद भविष्य में सही दिशा में बढ़ेंगे रिश्ते
पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में भारत-चीन सीमा पर सैनिकों की वापसी को लेकर पूछे गए सवाल पर चीनी राजदूत ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि इस आम सहमति के बाद भविष्य में रिश्ते सुचारू रूप से आगे बढ़ेंगे. दोनों पक्षों के बीच विशिष्ट असहमतियों के कारण सीमित और बाधित नहीं होंगे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मतभेदों को कैसे दूर किया जाए."

चीनी राजनयिक ने कहा, "पिछले पांच वर्षों में दोनों नेताओं के बीच यह पहली औपचारिक वार्ता थी. जिसमें महत्वपूर्ण सहमति बनी. दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों के आगे बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश तय किए गए."

उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन संबंधों को सुधारने और विकसित करने पर महत्वपूर्ण आम सहमति बनी. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर वापस लाने की रूपरेखा तय की. मोदी और जिनपिंग की 23 अक्टूबर को रूस के कजान में बैठक हुई थी.

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फेइहोंग ने कहा, "बैठक रचनात्मक थी और इसका बहुत महत्व था. दोनों पक्षों ने कई सामान्य मुद्दों पर सहमति जताई, जिनमें संचार और सहयोग को मजबूत करना, आपसी विश्वास को बढ़ाना, संबंधों को पटरी पर लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर हमारे विदेश मंत्रियों और अधिकारियों के बीच वार्ता आयोजित करना शामिल है."

चीनी राजदूत ने कहा कि बैठक में भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि तंत्र का अच्छा उपयोग किया गया, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द सुनिश्चित किया जा सके. साथ ही विकासशील देशों के साझा हितों की रक्षा के लिए निष्पक्ष और उचित समाधान निकाला जा सके.

चीन और भारत के बीच जल्द शुरू होनी चाहिए सीधी उड़ानें
चीन और भारत के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू होने के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘एक राजदूत के तौर पर मैं इसका इंतजार कर रहा हूं, क्योंकि इससे समय की बचत होगी. मैं न केवल राजनीति, बल्कि व्यापार में भी सुचारू सहयोग की उम्मीद कर रहा हूं."

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चीन के राजनयिक ने कहा, "चीन और भारत विकास सहयोग में एक-दूसरे को लाभान्वित कर रहे हैं. भारत-चीन वाणिज्यिक सहयोग ने लंबे समय तक अच्छी गति बनाए रखी है. इस वर्ष भारत में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने 2.4 लाख वीजा जारी किए हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत बिजनेस वीजा थे."

चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
राजदूत ने कहा कि चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है. द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है. चीन को भारत के साथ व्यापार ‘सरप्लस' का लाभ मिलता है. उन्होंने कहा, "चीनी उत्पादों पर टैक्स और प्रतिबंध लगाना भारत में ‘डाउनस्ट्रीम उद्योगों' के विकास और उपभोक्ताओं के हितों के लिए अनुकूल नहीं है."

दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक संबंधों की जरूरत
राजनयिक ने दोनों प्रमुख बाजारों के बीच घनिष्ठ वाणिज्यिक संबंधों की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा, "भारत और चीन के बीच संबंध दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक है. जब भारत और चीन सहयोग के लिए हाथ मिलाएंगे, तो इससे दोनों देशों के साथ-साथ पूरे एशिया और पूरे विश्व को लाभ होगा."

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