भारत-चीन के बीच 11वें दौर की सैन्य वार्ता, दोनों देशों ने लंबित मुद्दों के जल्द समाधान पर जताई सहमति

दोनों देशों के बीच 13 घंटे तक चली 11वें दौर की सैन्य वार्ता के एक दिन बाद भारतीय सेना (Indian Army) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने शेष क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने पर विस्तृत चर्चा की.

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दोनों देशों के बीच 13 घंटे तक बातचीत चली. (फाइल फोटो)
लद्दाख:

पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग के शेष संघर्ष वाले क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने के लिए भारत (India) और चीन (China) के बीच सैन्य वार्ता के नवीनतम दौर में चीनी पक्ष ने इस मुद्दे पर अपने रूख में कोई लचीलापन नहीं दिखाया. वार्ता के जानकार लोगों ने शनिवार को यह जानकारी दी. दोनों देशों के बीच 13 घंटे तक चली 11वें दौर की सैन्य वार्ता के एक दिन बाद भारतीय सेना (Indian Army) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने शेष क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने पर विस्तृत चर्चा की और जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाए रखने, किसी भी नई घटना को टालने और लंबित मुद्दों का ‘‘शीघ्र'' समाधान करने पर सहमति जताई.

उपरोक्त लोगों ने कहा कि चीनी प्रतिनिधिमंडल एक ‘‘पहले से तय सोच'' के साथ वार्ता के लिए आया था और संघर्ष वाले शेष क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ने की दिशा में कोई लचीलापन नहीं दिखाया. भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि इस संदर्भ में इस बात को प्रमुखता से रखा गया कि अन्य क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने से दोनों सैन्यबलों के बीच तनाव कम करने तथा शांति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा.

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कोर कमांडर स्तर की 11 वें दौर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चुशूल सीमा चौकी पर भारतीय क्षेत्र में हुई. वार्ता पूर्वाह्न साढ़े दस बजे शुरू हुई और रात साढ़े 11 बजे खत्म हुई. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने की. सेना ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने से संबंधित बाकी मुद्दों के समाधान को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया.''

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बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों पक्षों ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार त्वरित तरीके से लंबित मुद्दों का समाधान करने की आवश्यकता पर सहमति जताई.'' इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों पक्ष इस बात पर राजी थे कि अपने नेताओं से मार्गदर्शन एवं सहमति प्राप्त करना, संवाद जारी रखना तथा बाकी मुद्दों के यथाशीघ्र परस्पर स्वीकार्य हल की दिशा में काम करना अहम है.''

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बयान में कहा गया है, ‘‘उन्होंने जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाये रखने, किसी भी नई घटना को टालने और सीमा क्षेत्रों में संयुक्त रूप से स्थिरता बनाये रखने पर सहमत हुए.'' भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले साल पैंगोंग झील के पास हुई हिंसक झड़प के चलते गतिरोध पैदा हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे अपने हजारों सैनिकों की उस इलाके में तैनाती की थी.

कई दौर की सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से से सैनिकों और हथियारों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति जताई थी. भारत इस बात पर बल देता रहा है कि देपसांग, हॉटस्प्रिंग, गोगरा समेत सभी लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के संपूर्ण संबंधों के लिए अनिवार्य है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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