भारत-पाकिस्तान के संबंध इन दिनों कैसे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच का तनाव और चरम पर पहुंच चुका है, जो दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है. इस हमले को अंजाम देने वाले दशहतगर्त न जाने कहां जा छिपे हैं? इतने बड़े पैमाने पर चल रहे सर्च ऑपरेशन के बाद भी उनका कोई सुराग अभी तक नहीं मिला है. इस बीच भारतीय एजेंसियों की जांच में यह बात साफ हो चुकी है कि बेगुनाह सैलानियों से धर्म पूछकर घाटी की जमीन को लाल करने वाले आतंक पाकिस्तान से थे. इस हमले की साजिश भी पाकिस्तान में रची गई. लेकिन पाकिस्तान यह मानने को तैयार नहीं है. इस हमले के बाद भारत पाकिस्तान पर लगातार सख्त फैसले ले रहा है. भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान की आर्थिक कमर टूटती जा रही है.
पहलगाम हमले के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में आयोजित सीसीएस की बैठक के बाद भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित करने, अटारी बॉर्डर बंद करने, वीजा रद्द करने जैसे कई फैसले लिए. जिसका असर पाकिस्तान पर व्यापक रूप से पड़ा. पाकिस्तान अब चीन, अमेरिका, रूस से तनाव कम करवाने की गुहार लगा रहा है.
इस बीच शनिवार को भारत ने पाकिस्तान पर तीन और बड़े फैसले लिए.
- भारत ने पाकिस्तान से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सभी प्रकार के आयात प्रतिबंधित किए.
- भारत ने पाकिस्तान से डाक-पार्सल सेवा अस्थायी रूप से रोकी.
- भारत ने अपने बंदरगाहों पर पाकिस्तानी जहाजों के लिए लगाई नो-एंट्री.
शनिवार को भारत ने कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हित में तत्काल प्रभाव से पाकिस्तान से सभी आयातों पर प्रतिबंध लगा रहा है. वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया, "पाकिस्तान से आयातित या निर्यातित सभी वस्तुओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक प्रतिबंधित रहेगा, चाहे वे स्वतंत्र रूप से आयात योग्य हों या नहीं. यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हित में लगाया गया है. इस प्रतिबंध के किसी भी अपवाद के लिए भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होगी."
मालूम हो कि 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने ताजे फल, पेट्रोलियम उत्पाद और सीमेंट सहित पाकिस्तान से आयातित सभी वस्तुओं पर 200% शुल्क लगाया था. अब पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद वाघा-अटारी क्रॉसिंग को भी बंद कर दिया गया था. जिससे पाकिस्तान के साथ व्यापार ठप हो गया था, क्योंकि यह पड़ोसी देश से भारत में माल आने का आखिरी बचा हुआ रास्ता था.
बात आंकड़ों की करें तो साल 2021-22 और 2022-23 में भारत ने पाकिस्तान को 513.82 मिलियन डॉलर और 627.1 मिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया और आयात 2.54 मिलियन डॉलर और 20.11 मिलियन डॉलर रहा, जो उसके कुल व्यापार का बहुत छोटा हिस्सा है.
पाकिस्तान पर प्रतिबंध पर अगला कदम उठाते हुए भारत ने पाकिस्तान के झंडे वाले जहाजों के डॉकिंग पर प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही कहा कि भारत का कोई भी झंडा वाला जहाज पाकिस्तान के किसी भी बंदरगाह पर नहीं जाएगा.
सरकार ने कहा कि 1958 के मर्चेंट शिपिंग एक्ट का उद्देश्य "राष्ट्रीय हितों की सेवा के लिए सबसे उपयुक्त तरीके से भारतीय व्यापारिक नौसेना के विकास को बढ़ावा देना और उसका कुशल रखरखाव सुनिश्चित करना" है, सरकार ने कहा कि यह आदेश "सार्वजनिक हित में और भारतीय शिपिंग के हित में भारतीय परिसंपत्तियों, कार्गो और जुड़े बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने" के लिए जारी किया जा रहा है.
भारत द्वारा दिन का तीसरा उपाय पाकिस्तान से सभी भौतिक मेल और पार्सल पर प्रतिबंध लगाना था. केंद्र ने एक आदेश में कहा, "भारत सरकार ने हवाई और सतही मार्गों के माध्यम से पाकिस्तान से आने वाले सभी श्रेणियों के मेल और पार्सल के आदान-प्रदान को निलंबित करने का फैसला किया है."
इससे पहले पहलगाम हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त फैसलों की घोषणा की थी. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सिंधु जल संधि को सस्पेंड करना था. इस संधि के सस्पेंशन से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया. पाकिस्तान ने कहा कि यह "युद्ध की कार्रवाई" है.
उसी दिन भारत ने पाकिस्तानियों को जारी किए गए अधिकांश वीजा, जिनमें मेडिकल वीजा भी शामिल हैं, रद्द किए करने की घोषणा की. भारत के सख्त फैसलों की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए एयर स्पेस को बंद कर दिया. साथ ही शिमला समझौता तोड़ने की चेतावनी भी दी.
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