प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने शनिवार को राजधानी स्थित हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता की. बैठक के दौरान कई समझौता ज्ञापनों (MoU) का आदान-प्रदान किया गया, जिसमें स्वास्थ्य सहयोग, डिजिटल बुनियादी ढांचे और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं. पीएम मोदी ने आसियान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्रों में भागीदार के रूप में इंडोनेशिया के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने 'एक्ट ईस्ट' नीति के तहत आसियान की केंद्रीयता और एकता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
भारत के लिए इंडोनेशिया महत्वपूर्ण
पीएम मोदी ने कहा, "वर्ष 2025 को भारत-आसियान पर्यटन वर्ष के रूप में मनाया जाएगा. इससे भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इंडोनेशिया आसियान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्रों में हमारे लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है. हम दोनों इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, समृद्धि और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम इस बात पर सहमत हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जानी चाहिए."
इंडोनेशिया हमारा पहला अतिथि था
दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए, पीएम मोदी ने कहा, "इंडोनेशिया भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि था. जब हम गणतंत्र के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, तो यह बहुत गर्व की बात है कि इंडोनेशिया इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा है."
साइबर सिक्योरिटी जरूरी
प्रधानमंत्री ने बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार का उल्लेख किया, जो पिछले साल 30 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया. उन्होंने फिनटेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की घोषणा की.
महत्वपूर्ण समझौतों में समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा शामिल है, जिसका उद्देश्य अपराध की रोकथाम, खोज और बचाव और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना था. इसके अतिरिक्त, ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिजों, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष में साझेदारी को और मजबूत किया गया है.
प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स में इंडोनेशिया की सदस्यता का स्वागत किया और वैश्विक दक्षिण देशों के हितों पर सहयोग करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.