केंद्र में दोस्ती राज्य में कुश्ती, हरियाणा में 'हाथ से छूटा झाड़ू' देश में कितना बिखरा 'इंडिया' गठबंधन?

पंजाब के सीएम भगवंत मान ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि हरियाणा के लोगों ने बीजेपी, कांग्रेस और क्षेत्रीय दल सबको आज़मा लिया, अब वे बदलाव चाहते हैं.

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नई दिल्ली:

हरियाणा में इंडिया गठबंधन दरक गया है. आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अकेले लड़ने का आज एलान कर दिया. लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ी थी. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Maan) ने गुरुवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) के लिए AAP के अभियान की शुरूआत करते हुए 'बदलेंगे हरियाणा का हाल, अब लाएंगे केजरीवाल' का नारा भी दिया. 

भगवंत मान ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि हरियाणा के लोगों ने बीजेपी, कांग्रेस और क्षेत्रीय दल सबको आज़मा लिया, अब वे बदलाव चाहते हैं. हालांकि कांग्रेस पहले ही कह चुकी थी कि हरियाणा में वह अकेले चुनाव लड़ेगी. हरियाणा के लोग अब बदलाव चाहते हैं. किसी ने हरियाणा के साथ वफ़ा नहीं की. सबने हरियाणा को लूटा.

AAP का अलग होना कितना बड़ा झटका?
हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के ऐलान से विपक्षी एकता को झटका लगता दिख रहा है. लोकसभा चुनाव में हरियाणा में आप कांग्रेस गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 10 में से 5 सीटें जीती थी. हालांकि आम आदमी एक सीट पर चुनाव लड़ रही थी लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा. दिल्ली में भी आप कांग्रेस गठबंधन को एक भी सीट नहीं मिली. इसी प्रकार गुजरात में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा.

 जमीन पर एकजुट नहीं हुए कार्यकर्ता
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच केंद्रीय स्तर पर गठबंधन की बात हो गयी. हालांकि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता एकजुट नहीं हो पाए.  चुनाव में एक दूसरे दलों के पक्ष में वोट ट्रांसफर बहुत अधिक नहीं हो पाया. दिल्ली कांग्रेस के विरोध के बावजूद गठबंधन करने का लाभ दोनों में से किसी भी दल को नहीं मिला.  दिल्ली में AAP 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर लड़ी.  AAP-कांग्रेस मिलकर BJP को नहीं रोक सके. लगातार तीसरी बार BJP ने दिल्ली में शानदार प्रदर्शन किया. 

जानकारों का मानना रहा है कि आम आदमी पार्टी के समर्थन से भले ही दिल्ली और गुजरात में कांग्रेस को फायदा मिलता नहीं दिखा. लेकिन अगर आम आदमी पार्टी अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है. गुजरात में जब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अकेले दम पर उतरी थी तो कांग्रेस के वोट शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली थी. 

इंडिया गठबंधन-केंद्र में दोस्ती राज्य में कुश्ती
इंडिया गठबंधन बनाकर विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ एक मंच पर आने का प्रयास किया था. लोकसभा चुनाव के दौरान ही बंगाल, केरल और पंजाब जैसे राज्यों में गठबंधन में बिखराव देखने को मिली थी.  अब जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव सामने आ रहे हैं वैसे-वैसे यह बिखराव बढ़ता दिख रहा है. अब इस लिस्ट में हरियाणा का नाम भी जुड़ता जा रहा है.

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हरियाणा के बाद किसका नंबर?
बंगाल, केरल और पंजाब में पहले ही इंडिया गठबंधन में बिखराव देखी गयी है. अब इसमें हरियाणा का नाम जुड़ा है. आने वाले समय में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की गठबंधन में दरार की संभावना है. झारखंड और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन की तरफ से ऑल इज वेल का दावा किया जा रहा है. लेकिन सीट बंटवारे तक पहुंचना इन राज्यों में भी विपक्षी गठबंधन के लिए आसान नहीं होगा. महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस लोकसभा चुनाव की सफलता के बाद अधिक सीटों की मांग कर सकती है वहीं झारखंड में जेएमएम कांग्रेस पार्टी को कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए प्रेशर बना सकती है. 

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झारखंड में एक विधायकों वाली पार्टी राजद ने विधानसभा चुनाव में 22 सीटों पर दावा ठोका है. इसी तरह जेएमएम के नेता भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तुलना में बेहतर प्रदर्शन को आधार बनाकर प्रेशर बनाने की तैयारी में हैं.

AAP के अलग होने का असर 4 राज्यों पर 
इंडिया गठबंधन से अगर आम आदमी पार्टी अलग होती है तो इसका असर 4 राज्यों की राजनीति पर सीधे तौर पर देखने को मिल सकता है. दिल्ली, गोवा, हरियाणा और गुजरात में आम आदमी का आधार है. हाल ही में राहुल गांधी ने संसद में कहा था कि गुजरात में वो बीजेपी को मात देंगे. ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी गठबंधन से अलग होती है तो राहुल गांधी की गुजरात रणनीति पर भी सोचना होगा.  

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