- प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर देश की आत्मनिर्भरता और वैश्विक ताकत बनने की बात कही
- पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इशारों में जवाब देते हुए छोटी और बड़ी लकीर का जिक्र किया
- उन्होंने कहा कि दूसरों की लकीर छोटी करने में ऊर्जा बर्बाद न करें और अपनी लकीर लंबी करें
PM Modi Independence Day Speech 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दुनिया के तमाम देशों को बड़ा मेसेज दिया. भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़ने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के लिए भी इशारों में कड़ा संदेश था. भारत के स्वाभिमान का जिक्र था. पीएम मोदी ने भारत का रुख साफ करते हुए कहा कि वह देश के किसानों, मछुआरों का अहित नहीं होने देंगे. वह दीवार की तरह खड़े हैं. पीएम मोदी का आधा से ज्यादा भाषण आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को समर्पित था. उन्होंने युवाओं से लेकर सियासी दलों तक से अपील करते हुए कहा कि वे स्वदेसी के मंत्र के आगे बढ़ाने के लिए आगे आएं. पीएम मोदी ने बताया कि कैसे भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और दुनिया में बड़ी ताकत के तौर पर उभर रहा है. इस मौके पर पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी इशारों ही इशारों में करारा जवाब दिया और छोटी लकीर-बड़ी लकीर के जरिए उन्हें पाठ पढ़ाया.
अपनी लकीर को करना है लंबा
पीएम मोदी ने ट्रंप को इशारों में जवाब देते हुए कहा, हमारी जिम्मेदारी है कि हम किसी की लकीर को छोटी करने में अपनी ताकत बर्बाद न करें. मैं अपने अनुभव से कहता हूं कि किसी दूसरे की लकीर को छोटी करने में हमें अपनी उर्जा नहीं खपानी है. हमें पूरी ऊर्जा के साथ हमारी लकीर को लंबा करना है. हम अपनी लकीर लंबी करते हैं, तो दुनिया भी हमारा लोहा मानेगी. वैश्विक परिस्थितियों में आर्थिक स्वार्थ दिनोंदिन बढ़ रहा है, तब समय की मांग है कि उन संकटों पर रोते बैठने की जरूरत नहीं है, तब हिम्मत के साथ अपनी लकीर को लंबी करें. मैं 25 साल के अपने शासन के अनुभव से कहता हूं कि यह रास्ता हमने चुन लिया तो कोई स्वार्थ हमने अपने चंगुल में नहीं फंसा सकता है.
आत्मनिर्भर होना जरूरी
पीएम मोदी ने अमेरिका की मनमानी के बीच आत्मनिर्भर भारत बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, आत्मनिर्भरता का नाता सिर्फ आयात और निर्यात, रुपया, पैसा, पाउंड डॉलर तक नहीं है. इतना सीमित अर्थ उसका नहीं है. आत्मनिर्भरता का नाता हमारे सामर्थ्य से जुड़ा है. जब आत्मनिर्भरता खत्म होने लगती है, तो सामर्थ्य भी क्षीण होने लगता है. इसलिए हमारे सामर्थ्य को बचाए और बनाए रखने लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूर है.