जश्न ए आज़ादी : 1800 'विशिष्‍ट अत‍िथि', पारंपरिक परिधान में 75 दंपत्ति, जानें- इस बार लाल किले पर क्‍या था खास

प्रधानमंत्री ने लगातार दसवीं बार स्वतंत्रता दिवस पर डेढ़ घंटे तक देश को संबोधित किया. उन्होंने शीशे के बुलेटप्रुफ आवरण के बजाय खुले मंच से अपना यह संबोधन किया. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थानी बांधनी प्रिंट की विविध रंगों वाली पगड़ी में नजर आए.
नई दिल्ली :

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को लाल किले के प्राचीर से लगातार अपना दसवां स्वतंत्रता दिवस भाषण देते हुए कहा कि भारत एक निर्णायक मोड़ पर है और उसमें कोविड महामारी के बाद नयी वैश्विक व्यवस्था को आकार देने की ताकत है. उन्होंने देशवासियों को अगले पांच सालों में उज्ज्वल भविष्य के साथ एक ‘नये भारत' का आश्वासन भी दिया. मोदी सुबह सात बजकर 18 मिनट पर लाल किला पहुंचे. प्रधानमंत्री ने राजस्थानी बांधनी प्रिंट की विविध रंगों वाली पगड़ी, पूरी बाजू का सफेद कुर्ता, चूड़ीदार पायजामा और ‘वी' गले का जैकेट पहन रखा था. 

मोदी के लाल किले पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और रक्षा सचिव गिरिधर अरामने ने उनकी अगवानी की. सचिव ने दिल्ली के जनरल अफसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ का मोदी से परिचय करवाया. जीओसी के साथ प्रधानमंत्री सलामी वाली जगह की ओर बढ़े जहां सशस्त्र बलों के तीनों अंगों और पुलिस गार्ड ने उन्हें सलामी दी. 

मोदी लाल किले की प्राचीर की ओर गये जहां रक्षा मंत्री, रक्षा राज्यमंत्री, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने उनका अभिवादन किया. 

प्रधानमंत्री ने सुबह करीब साढ़े सात बजे 17 वीं सदी के इस मुगलकालीन स्मारक से तिरंगा फहराया. दो महिला सैन्य अधिकारियों --मेजर निकिता नैय्यर और जस्मीन कौर ने उन्हें ध्वजारोहण में मदद की. 

21 तोपों की सलामी, हेलीकॉप्‍टर से पुष्‍पवर्षा 
21 तोपों की सलामी के बीच बैंड ने राष्ट्रगान बजाया और गार्ड ने राष्ट्रीय सलामी दी. स्वतंत्रता दिवस समारोह में स्वदेशी 105एमएम लाइट फील्ड गन का पहली बार प्रतीकात्मक तोप के तौर पर इस्तेमाल किया गया. ध्वजारोहण के दौरान 8711 फील्ड बैटरी (प्रतीकात्मक) के तोप चलाने वालों (गनर) द्वारा 21 तोपों की सलामी दी गई. भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने दर्शकों की करतल ध्वनि के बीच आयोजन स्थल पर पुष्पवर्षा की. 

बुलेटप्रूफ आवरण के बजाय खुले मंच से संबोधन 
प्रधानमंत्री ने लगातार दसवीं बार स्वतंत्रता दिवस पर डेढ़ घंटे तक देश को संबोधित किया. उन्होंने शीशे के बुलेटप्रुफ आवरण के बजाय खुले मंच से अपना यह संबोधन किया. 

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विशिष्‍ट अतिथियों में ये थे शामिल 
विभिन्न उज्ज्वल गांवों के सरपंचों, मछुआरों, नर्सों तथा संसद भवन निर्माण समेत सेंट्रल विस्टा परियोजना से जुड़े कर्मियों समेत निर्माण श्रमिक इस मौके पर 1800 ‘विशिष्ट अतिथियों' में शामिल थे. हर राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश से 75 दंपत्तियों को पारंपरिक परिधान में यह समारोह देखने के लिए आमंत्रित किया गया था. पचास स्कूली शिक्षक भी आमंत्रित लोगों में शामिल थे. उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय समर्पण एवं प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा चुना गया था. 

अमेरिकी सांसद भी पहुंचे 
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना और सांसद माइक वाल्त्ज के नेतृत्व में अमेरिकी सांसदों का द्विदलीय समूह भी इस कार्यक्रम में पहुंचा था. 

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केंद्रीय मंत्री भी रहे मौजूद 
इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी जैसे गणमान्य लोग भी इस अवसर पर मौजूद थे. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया. जी 20 का निशान लालकिले के पुष्प सजावट का हिस्सा था. 

‘वंदे मातरम' और ‘भारत माता की जय' के नारे 
अपने भाषण के बाद प्रधानमंत्री वहां गये जहां स्कूली बच्चे एवं एनसीसी कैडेट थे. वह ‘वंदे मातरम' और ‘भारत माता की जय' के नारों के बीच उनसे मिले. सूर्य की तेज रोशनी थी. अधिक नमी (उमस) के वजह से लोगों को कुछ परेशानी हुई. 

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सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम 
मंगलवार को दिल्ली में बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. लाल किला और उसके आसपास 10000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये थे. ‘फेसियल रिकोगनेशन और वीडियो एनालायटिकल सिस्टम' के साथ करीब 1000 कैमरे लाल किले और उसके आसपास महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाये गये थे ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और गणमान्य व्यक्तियों की आवाजाही की निगरानी की जा सके. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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