कोराना के चलते स्कूली बच्चे हॉस्टल खाली करके घर क्या पहुंचे तो हॉस्टल अधीक्षक (वार्डन) ने सरकारी हॉस्टल को ही प्याज़ का गोदाम बना दिया. जी हां, यह पूरा मामला मध्यप्रदेश के शाजापुर जिला मुख्यालय का है जहां आदिमजाति विभाग द्वारा संचालित इस जनजातीय सीनियर बालक छात्रावास को कक्षा 9 से 12 तक की कक्षा में पढ़ने वाले 50 छात्रों के रहने के लिये बनाया गया है. इस आवासीय परिसर में रहकर बच्चे पढ़ाई करते हैं. लेकिन कोराना संक्रमण के चलते पिछले साल ही यहां रहने वाले बच्चे अपने अपने घर चले गए और तब से बाकी सरकारी हॉस्टलों की तरह यह भी पूरी तरह खाली पड़ा है. बस इसी बात का फायदा उठाते हुए हॉस्टल के अधीक्षक कमल बोड़ाना ने इस सरकारी बिल्डिंग को प्याज के गोदाम के तौर पर उपयोग करना शुरू कर दिया.
हॉस्टल के तीन कमरों में प्याज़ के ढेर लगाकर उनका भंडारण किया गया है. यही नहीं, प्याज़ को सुरक्षित रखने के लिये उन पर बड़े बड़े पंखे भी लगाए गए हैं वो भी दिन रात सरकारी बिजली से चल रहे हैं. परिसर में मवेशी भी बंधे दीखाई देते हैं. जब यहां मौजूद हॉस्टल के चौकीदार से प्याज़ के भंडारण पर सवाल किया गया तो उसने यह प्याज हॉस्टल अधीक्षक द्वारा रखना बताया.
वहीं इस मामले में अब आदिमजाति विभाग के जिला अधिकारी जांच की बात कह कर दोषीयो पर सख्त से सख्त कार्रवाई की बात कह रहे हैं. फिलहाल पूरे मामले की जांच बैठा दी गयी है वहीं सवालों के घेरे में आया हॉस्टल अधीक्षक इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते हुए सामने आने को ही तैयार नही है.