मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में उछाल देखने को मिला है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन अधिकारियों ने नवजात शिशुओं से लेकर एक वर्ष के बच्चों तक लगभग 41 बाघ शावकों को देखा है. एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि कैमरा ट्रैप से और रिजर्व में शावकों की वास्तविक दृष्टि के आधार पर यह जानकारी एकत्र की है.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) आलोक कुमार ने कहा, "वन कर्मचारियों ने आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में नवजात शिशुओं से लेकर एक साल के बच्चों तक 41 से अधिक बाघ शावक पाए हैं." आंकड़ों के अनुसार कल्लावाह बीट में आठ से 10 माह के चार शावक देखे गए, जबकि पाटोर में समान आयु वर्ग के 12 शावक देखे गए.
इसी तरह, ताला बीट में टी-17 के रूप में पहचानी गई एक बाघिन के पांच शावक देखे गए, धमाखोर में चार छह महीने के शावक देखे गए, जबकि पनपथ कोर और बफर क्षेत्रों में दो-तीन महीने के शावक देखे गए हैं.
अधिकारी ने बताया कि इनके अलावा भानपुर में दो नवजात, 10 से 12 महीने की उम्र के पांच शावक माघड़ी बीट में और 8 से 12 महीने की उम्र के चार शावक खितौली में देखे गए. कुमार ने कहा कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को राज्य में बाघों की नर्सरी के रूप में भी जाना जाता है और एक बार जब वे बड़े हो जाते हैं, तो वयस्क बाघों को राज्य के अलग-अलग स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाता है जहां उनकी संख्या कम होती है.
बांधवगढ़ को 1968 में राष्ट्रीय उद्यान और बाद में 1993 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था. 716 वर्ग किमी में फैले इस अभयारण्य को बाघों की आबादी के उच्चतम घनत्व के लिए जाना जाता है.