प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक में भारत के पारंपरिक ज्ञान के मद्देनज़र एक अहम फैसला लिया गया. मंत्रिमंडल ने "पेटेंट कार्यालयों के अलावा, उपयोगकर्ताओं के लिए Traditional Knowledge Digital Library (TKDL) डेटाबेस की व्यापक पहुंच" को मंजूरी दे दी है. उपयोगकर्ताओं के लिए TKDL डेटाबेस को खोलना भारत सरकार द्वारा एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. यह भारतीय पारंपरिक ज्ञान के लिए एक नया सवेरा होगा, क्योंकि टीकेडीएल विविध क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान और विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देगा. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परम्परा के माध्यम से TKDL के उद्घाटन की परिकल्पना और ज्ञान नेतृत्व को विकसित करने के लिए भी की गई है.
भारतीय पारंपरिक ज्ञान ( Traditional Knowledge) राष्ट्रीय और वैश्विक जरूरतों को पूरा करने की अपार क्षमता प्रदान करता है, जिससे सामाजिक लाभ के साथ-साथ आर्थिक विकास भी होता है. उदाहरण के लिए, हमारे देश से चिकित्सा और स्वास्थ्य की पारंपरिक प्रणाली, अर्थात् आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा रिग्पा और योग आज भी देश-विदेश के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं. हाल ही में COVID-19 महामारी में भी भारतीय पारंपरिक दवाओं का व्यापक उपयोग देखा गया था.
इसके अलावे, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सभी वित्तीय संस्थानों के लिए अल्पकालिक कृषि ऋणों पर ब्याज सबवेंशन को 1.5 प्रतिशत तक बहाल करने की मंजूरी दे दी है. इस प्रकार ऋण देने वाली संस्थाओं को 1.5% का ब्याज सबवेंशन प्रदान किया जाएगा. वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2024-25 के लिए किसानों को 3 लाख रुपये तक के लघु अवधि के कृषि ऋण देने की अनुशंसा को भी पारित किया गया है.
2022-23 से 2024-25 की अवधि के लिए ब्याज सबवेंशन समर्थन की इस योजना के तहत 34,856 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय प्रावधानों की आवश्यकता होगी.
इस योजना के लागू होने से कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह की स्थिरता सुनिश्चित होगी जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पर्याप्त कृषि ऋण सुनिश्चित होगा. इससे रोजगार भी पैदा होगा क्योंकि पशुपालन, डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य पालन सहित सभी गतिविधियों के लिए अल्पावधि कृषि ऋण प्रदान किया जाएगा.














