"मैं अपनी दुनिया का राजा": गुप्त गठबंधन पर एनडीटीवी से त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के वंशज

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव (Tripura Assembly Elections) : अपने मिमिक्री कौशल पर उन्होंने कहा, "मिमिक्री एक कला है. आप देखते हैं और फिर आप सुधार करते हैं. मेरा हमेशा खुला दिल रहा है, मैं हमेशा सभी से मिला हूं. मैं एक विशिष्ट राजनेता नहीं हूं."

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
किशोर माणिक्य देबबर्मा ने कहा, "मेरी लाइन टिपरा मोथा है, जैसे एनडीटीवी की लाइन विश्वास है."
अगरतला:

टिपरा मोथा के नेता और पूर्व शाही परिवार के वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा की पार्टी को इस विधानसभा चुनाव में एक्स-फैक्टर के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन के साथ मौन सहमति के भाजपा के दावों को आज खारिज कर दिया और कहा कि उनकी वफादारी केवल उनके समर्थकों के साथ है. NDTV के साथ एक विशेष बातचीत में, देबबर्मा ने कहा कि कांग्रेस सहित कई दलों में उनके पुराने मित्र हैं, और जब भी वे चुनावी सभाओं के दौरान उनसे मिलते थे, उनका अभिवादन करते थे.

मुझे कोई आदेश नहीं सुनना
यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसी मुलाकातें किसी राजनीतिक समझ के संकेत हैं, जैसा कि भाजपा ने आरोप लगाया है, उन्होंने जवाब दिया, "मैं अपनी दुनिया का राजा हूं. मुझे भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को नहीं सुनना है. मुझे सोनिया गांधी की बात नहीं सुननी है. मुझे अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी होगी. मैं अपनी पार्टी का एक स्वतंत्र नेता हूं. गृह मंत्री अमित शाह या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के फरमान पर मुझे नहीं चलना है. मैं अपने दिल की बात मानूंगा. यह मेरा निजी फैसला है. मुझे कोई आदेश नहीं सुनना है." अन्य दलों के नेताओं के साथ अच्छे समीकरण कैसे बनाए रखते हैं, इस पर आगे बोलते हुए उन्होंने कहा, "अगर शिवसेना राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल का समर्थन कर सकती है और ममता बनर्जी प्रणब मुखर्जी को समर्थन दे सकती हैं, तो मैं क्यों नहीं सोच सकता मिस्टर एक्स एक अच्छे इंसान हैं और मिस्टर वाई नहीं?" यह टिप्पणी गृह मंत्री अमित शाह के इस आरोप की पृष्ठभूमि में आई है कि टिपरा मोथा की कांग्रेस और सीपीएम के साथ "गुप्त समझ" है और आदिवासी पार्टी को वोट देने का मतलब कम्युनिस्टों को वोट देना है.

प्रधानमंत्री मोदी नुक्कड़ सभाएं क्यों नहीं कर रहे?
टिपरा मोथा 60 विधानसभा सीटों में से 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसमें अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 20 सीटें शामिल हैं. 2018 में, बीजेपी और उसके सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने इन 20 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के वंशज देबबर्मा ने कहा कि इस बार भाजपा को "जबर्दस्त झटका" लगा है. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी रैलियों में भीड़ मतपत्र में वोटों में बदल जाएगी, उन्होंने जवाब दिया, "अगर रैलियां कोई कारक नहीं हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी नुक्कड़ सभाएं क्यों नहीं कर रहे हैं?" टिपरा मोथा जिन सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, उनमें से कई आदिवासी बेल्ट से बाहर हैं और प्रतिद्वंद्वियों ने उपहास किया है और एक नीरस प्रदर्शन की भविष्यवाणी की है. हालांकि, नेता ने कहा कि उन्हें चौतरफा अच्छे प्रदर्शन का भरोसा है. "टिपरा मोथा सबसे समावेशी पार्टी है. हमने इसे आदिवासियों, बंगालियों, अनुसूचित जातियों, मणिपुरियों को दिया है."

Advertisement

आईपीएफटी का मतलब ध्रुवीकरण
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें बंगाली वोटों के जवाबी ध्रुवीकरण का डर है, क्योंकि उनकी पार्टी वृहद टिप्रालैंड के लिए राज्य की अपनी मांग को आगे बढ़ा रही है, देबबर्मा ने कहा, "मैं बंगालियों के खिलाफ नहीं हूं. जो लोग बंगालियों के खिलाफ हैं, वे भाजपा में हैं. आईपीएफटी का मतलब ध्रुवीकरण है." यह कहते हुए कि उनका परिवार लोगों के बीच कभी अंतर नहीं करता, उन्होंने कहा, "हम हमेशा एक समावेशी समाज के लिए खड़े रहेंगे. हम जो चाहते हैं, वह त्रिपुरा का एक राजनीतिक अलगाव है, ताकि बंगालियों सहित स्वायत्त क्षेत्रों (त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद) में रहने वाले लोग मुस्लिम, चाय बागान के मजदूर, मणिपुरी को उनका अधिकार मिले."

Advertisement

विपक्ष में बैठना पसंद करूंगा
चुनाव से पहले, टिपरा मोथा ने गठबंधन बनाने पर भाजपा के साथ चर्चा की थी, लेकिन अलग राज्य की मांग को लेकर बातचीत में गतिरोध आ गया. यह पूछे जाने पर कि यदि बहुकोणीय चुनाव का परिणाम त्रिशंकु आता है तो वह किस पार्टी का साथ देंगे, उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी की मूल मांग से नहीं हटेंगे. "जब मीडिया की बात आती है, तो एनडीटीवी के लिए मेरे मन में बहुत नरम भाव है और जब पार्टियों की बात आती है, तो मेरे पास उन लोगों के लिए बहुत नरम कोने हैं, जिन्होंने हमें वोट दिया है, जिन्होंने उम्मीद की है कि हम अपने आंदोलन को धोखा नहीं देंगे. मैं केवल उनके साथ हूं और किसी राजनीतिक दल के साथ नहीं. अगर वे हमें संवैधानिक समाधान देते हैं, तो हम बात करेंगे, लेकिन अगर वे नहीं देते हैं, तो मैं आंदोलन और लोगों को धोखा देने के बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करूंगा."

Advertisement

लोग दबंगों को पसंद नहीं करते
किशोर माणिक्य देबबर्मा ने कहा, "मेरी लाइन टिपरा मोथा है, जैसे एनडीटीवी की लाइन विश्वास है." अपने मिमिक्री कौशल पर उन्होंने कहा, "मिमिक्री एक कला है. आप देखते हैं और फिर आप सुधार करते हैं. मेरा हमेशा खुला दिल रहा है, मैं हमेशा सभी से मिला हूं. मैं एक विशिष्ट राजनेता नहीं हूं. मुझे लगता है कि समय आ गया है, जब राजनेता अपने महलों और सिंहासनों में बैठने के बजाय इंसानों, आम लोगों की तरह व्यवहार करें." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक भाजपा विधायक ने एक मतदान केंद्र में प्रवेश किया और मतदाता पहचान पत्र छीनने की कोशिश की. उन्होंने कहा, "यह सामान्य है, उन्होंने लोकसभा (चुनाव) में ऐसा किया, लेकिन मुझे नहीं लगता कि आप 22 लाख लोगों को डरा सकते हैं." सीपीएम शासन के दौरान चुनावों में गड़बड़ी होने के भाजपा के दावों पर उन्होंने कहा, "इसीलिए लोगों ने घृणा की और भाजपा को वोट दिया. भाजपा को यह सीखना चाहिए था कि डराने-धमकाने के कारण वामपंथियों का सफाया हो गया था. लोग दबंगों को पसंद नहीं करते हैं." 

Advertisement

यह भी पढ़ें-
त्रिपुरा चुनाव : बीजेपी को और ज्यादा की उम्मीद, CPM कर रही वापसी की कोशिश : 10 प्वाइंट्स
एलएसी पर होगी नए सैनिकों की भर्ती, बनेंगी 47 नई चौकियां, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

Featured Video Of The Day
Pilibhit में Khalistani Terrorists के Encounter की Inside Story | Metro Nation @ 10