मध्‍य प्रदेश में वन विभाग की भूमि से हटाए गए अवैध मकान, दिग्विजय सिंह धरने पर बैठे

प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम आने के बाद हितग्राहियों को अपनी जमीन की जिओ टैगिंग करवाना अनिवार्य होता है, इसके बाद ही योजना के तहत मिलने वाली किस्त आती है, अब अगर वनभूमि में टैगिंग हुई है, तो इसका जिम्मेदार भी प्रशासन ही है, तो इसकी सज़ा गरीब दलित परिवार को क्यों?

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दलितों के घर टूटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह रैपुरा गांव पहुंच गये और धरने पर बैठ गए.
सागर:

मध्य प्रदेश में सागर में दलितो के घरों पर बुलडोज़र चलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह रैपुरा गांव में धरने पर बैठ गये. वन विभाग की दलील है कि वन भूमि पर किये गये अवैध कब्जे को कानूनन हटाया गया है, लेकिन दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस के संरक्षण में जेसीबी से गरीबों के प्रधानमंत्री आवास योजना में बनाये गये मकान तोड़े गये. हांलाकि, राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत ने कहा कि सरकार ने मकान गिराने का आदेश देने वाले रेंजर को निलंबित कर दिया है और सभी लोगों को पट्टे देकर मकान सरकार बनवायेगी.

सागर ज़िले में राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत की सुरखी विधानसभा का रैपुरा गाँव. इस गांव में अब बेबसी के आंसू हैं, सामान खुले में बिखरा है. मलबे में मासूम बच्चे खेल रहे हैं जो कल तक उनका घर था. कुछ औरतें पेड़ के नीचे बैठी हैं, बुजुर्ग अपने टूटे हुए मकान के ओटले पर... सामान अगोर रहे हैं भूखे-प्यासे. गांववाले कहते हैं वो 50 साल से यहां रह रहे थे, अब घर ज़मींदोज हो गया. बगैर नोटिस वन विभाग ने कह दिया ये अतिक्रमण है. करीब 10 मकानों को तोड़ा गया. इनमें से 6 प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे थे, अब वो भी परेशान हैं जो घर बनाने में लगे थे. लोगों का आरोप है उन्हें सामान निकालने तक का वक्त नहीं दिया.

गांव के सरपंच संतोष ने बताया, "पहले फॉरेस्ट की जगह थी, तो मकान बनने पर रोक लगा देना था. ये क्‍या बात हुई पहले मकान बन गये, फिर उन्‍हें पटक दिया.

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वहीं, रवि यादव ने अपने दुख साझा करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री आवास योजना में यहां सेंटरिंग लगाई थी, हमारी कोई सुनवाई नहीं है मैं क्या करूं. हमने कहा 10 मिनट रुक जाओ सामान निकाल लेंगे, लेकिन उन्होंने खींचातानी की और बुलडोजर चला दिया. 

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सागर डीएफओ महेन्द्र प्रताप सिंह ने बतया, "कल वन भूमि पर अवैध काबिज लोगों के अतिक्रमण हटाये गये. विगत एक साल से इनको हटाने की प्रक्रिया में थे. इनके खिलाफ बकायदा वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर धारा 80 में नोटिस जारी किया गया था. कई बार नोटिस दिया, समय दिया गया कि आप अतिक्रमण हटा लीजिये.

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दलितों के घर टूटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह रैपुरा गांव पहुंच गये और धरने पर बैठ गए. आरोप लगाया कि मंत्री ने पत्थर की खदान के लिये गरीबों के घर ढहा दिये. दिग्विजय सिंह ने कहा, "बात ये है कि नोटिस किसी को नहीं मिला. ये बताया गया यहां पत्थर की खदान है. वहीं, सरकार का कहना है कि दिग्विजय सिंह चुनाव के पहले दलितों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं.

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राजस्व मंत्री, एमपी गोविंद राजपूत ने कहा, "वन विभाग ने जो अतिक्रमण तोड़ा, उसमें कलेक्टर ने रेंजर को सस्पेंड कर दिया है. उनको मकान सरकार देगी. प्लॉट सरकार देगी. मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि सरकार गरीबों के साथ खड़ी रहेगी. दिग्विजय सिंह से कहना चाहूंगा कि हम लोग जात-पात की राजनीति नहीं करते. दलित पिछड़ा सभी एक थाली में खाना खाते हैं. दिग्विजय सिंह जी दलितों के नाम पर राजनीति बंद करिये.

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